17,000 करोड़ के फ्रॉड में बड़ा नाम! अनिल अंबानी को ED का समन, 5 अगस्त को होगी पूछताछ – क्या अब खुलेगा कार्पोरेट गवर्नेंस का सबसे बड़ा राज़?

नई दिल्ली :भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज नाम अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर से गहराती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ₹17,000 करोड़ के कथित लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें समन भेजा है। उन्हें 5 अगस्त को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है।
यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की जा रही है। इससे पहले ED ने रिलायंस ग्रुप की 35 लोकेशनों पर छापेमारी की थी, जहां करीब 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों की भूमिका को लेकर जांच की जा रही है।
SEBI रिपोर्ट ने खोले नए राज – ₹10,000 करोड़ की फंड डायवर्जन की आशंका!
इस पूरे मामले में एक नया मोड़ तब आया जब मार्केट रेगुलेटर SEBI ने ED, NFRA और IBBI को रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (R-Infra) से जुड़ी संदिग्ध फंड डायवर्जन पर रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार:
R-Infra ने Inter-Corporate Deposits (ICD) के ज़रिए भारी रकम CLE Pvt Ltd नाम की एक गुप्त पार्टी को ट्रांसफर की।
CLE से जुड़े लेन-देन ₹8,302 करोड़ तक पहुँचे।
FY13–FY23 के बीच CLE पर कंपनी की कुल संपत्ति का 25% से 90% तक एक्सपोजर रहा।
CLE को रिलेटेड पार्टी के रूप में जानबूझकर डिस्क्लोज नहीं किया गया।
रिलायंस ग्रुप की सफाई – SEBI की रिपोर्ट को बताया “भ्रामक”
रिलायंस ग्रुप ने इस रिपोर्ट को “सनसनी फैलाने वाला” और “गुमराह करने वाला” बताया है।
ग्रुप के प्रवक्ता के अनुसार:
9 फरवरी 2025 को सारी जानकारियाँ पहले ही सार्वजनिक की जा चुकी हैं।
₹6,500 करोड़ के एक्सपोजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की मध्यस्थता में समझौता हुआ है, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट में रखा गया है।
अनिल अंबानी का प्रमोटर कनेक्शन भी जांच के घेरे में
SEBI रिपोर्ट में यह भी बताया गया है:
CLE की ईमेल ID और बैंकिंग जानकारी relianceada.com डोमेन से जुड़ी पाई गईं।
CLE के डायरेक्टर्स और साइनिंग अथॉरिटी, रिलायंस ग्रुप से जुड़े कर्मचारी थे।
मार्च 2022 तक अनिल अंबानी R-Infra के चेयरमैन और डायरेक्टर रहे हैं और उनकी हिस्सेदारी 40% से अधिक थी।
क्या होगा आगे?
अब यह मामला ED, SEBI, NFRA और IBBI जैसी संस्थाओं की जाँच के अधीन है। अगर सभी आरोप साबित हो जाते हैं, तो यह केस भारत के कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा फाइनेंशियल फ्रॉड बन सकता है।