भ्रष्ट्राचार का बड़ा खेल: वेतन में 15% कमीशन के खेल में BPM पर होगी कारवाई या लीपापोती की चल रही तैयारी

Dhanbad: स्वास्थ्य विभाग इन दिनों भ्रष्टाचार का अड्डा बन हुआ है। हर दिन एक से बढ़कर एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। उसके वावजूद विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे रहते हैं। मामला CHC गोविंदपुर से जुड़ा है, जब बागसुमा के CHO ने वहां के BPM प्रमोद कुमार (ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर) पर वेतन देने पर 15% कमीशन मांगने का आरोप लगाया था। जिसकी शिकायत डीसी के पोर्टल पर दर्ज कराई थी। आनन फानन में जिले की सिविल सर्जन ने एक कमिटी गठित की थी।

मामला प्रकाश में आने बाद जैसी टीम का गठन किया गया था उसपर HPBL न्यूज़ की टीम ने निष्पक्ष जांच और लीपापोती का संदेह जताया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले की लीपापोती की जानकारी प्राप्त हो रही है। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि शिकायतकर्ता से ऐसे किसी आरोप  से इनकार करवाया जा रहा है।

क्या है मामला

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोविंदपुर अंतर्गत बाग़सुमा HWC में कार्यरत  CHO ने BPM प्रमोद कुमार पर वेतन निकासी करने पर 15% कमीशन की मांग की गई थी।हालांकि CHO ने ये भी स्वीकार किया था कि पूर्व से वो 10% कमीशन देती रही है।मतलब साफ है कि वेतन में कमीशन सहित अन्य कई भ्रष्ट्राचार का खेल पूर्व से होते रहे है।

वेतन निकासी में कौन कौन होते है शामिल

वेतन/ मानदेय निकासी में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी(MOIC), ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर(BPM), ब्लॉक अकाउंट मैनेजर(BAM) की अहम भूमिका होती है। जाहिर है किसी एक की मर्जी से ये कमीशन खोरी का खेल नहीं हो सकता है।  सवाल ये भी है कि कोई भी कर्मी यूं ही शिकायत नहीं करता जिसपर शिकायत वापस लेने का दवाब बनाए जाने की बातें आ रही है।यदि आरोप झूठे हैं तो विभाग को बदनाम करने के लिए शिकायतकर्ता पर भी कारवाई होनी चाहिए।ये सारे मामले का पटाक्षेप तो जांच के बाद ही सामने आएगी।

कितना मिलता है वेतन और क्या है कमीशन का खेल

प्राप्त जानकारी के अनुसार CHO को मानदेय के तौर पर 25000 रुपए प्रति माह और अलग अलग कार्यों के लिए 15000 निर्धारित है।कमीशन का खेल यहीं शुरू होता है। जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा अलग अलग कार्य के लिए 15000 रुपए मसलन HWC में प्रसव कराना, वहां आवास में रहकर 24× 7 सुविधा उपलब्ध कराना, जागरूकता अभियान चलाना, प्रतिरक्षण कार्य  जैसे कार्य शामिल होते हैं। जो सरकारी निर्देशानुसार पूरे नहीं किए जाते और कार्यालय की मिलीभगत से पूरे पैसे निकासी का खेल चलता है।जबकि कागजी तौर पर खानापूर्ति कर दी जाती है और फिर शुरू हो जाता है कमीशन का खेल।

विभाग के कर्मी पर ऐसे संगीन आरोप लगने विभाग की अत्यंत संवेदनशीलता के साथ जांच करनी चाहिए और दोषी कर्मी पर कारवाई होनी चाहिए।परंतु विभाग इसकी गहनता से जांच के प्रति धीमी है और मामले को आपसी समझौते कराने पर ज्यादा जोर दे रहा है।क्योंकि इस भ्रष्टाचार के खेल में सिर्फ BPM ही नहीं और भी कई शामिल हो सकते है जिसकी सच्चाई गहनता से जांच में सामने आ सकते है। ऐसे मामले पर विभाग की निष्क्रियता स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने में बड़ी रुकावट है।

 

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