झारखंड में बैंक मैनेजर ही निकला बैंक घोटाले का मास्टरमाइंड, पुलिस ने किया गिरफ्तार, करोड़ों रुपये जानिये कहां-कहां खपाया

In Jharkhand, the bank manager turned out to be the mastermind of the bank scam. Police arrested him. Find out where he spent crores of rupees.

Jharkhand Crime News : झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। बैंक मैनेजर रहे मनोज कुमार सिंह पर घोटाले का आरोप लगा है, जिन्हें पलामू पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। शुरुआती जांच में 1.36 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था, जो बाद में बढ़कर 6.3 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। आरोपी ने फिक्स डिपॉजिट ग्राहकों और महिला स्वयं सहायता समूहों को निशाना बनाकर फर्जी निकासी की थी।

 

मनोज कुमार सिंह बिहार के बक्सर जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के कोनौली गांव के निवासी हैं।घोटाले का खुलासा जुलाई महीने में हुआ, जब झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के दंगवार शाखा का नियमित निरीक्षण और ऑडिट किया गया। ऑडिट के दौरान कई वित्तीय गड़बड़ियां सामने आईं। इसके बाद वर्तमान शाखा प्रबंधक आशीष रंजन ने पूर्व प्रबंधक मनोज कुमार सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।

 

पुलिस की प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि हुई और उसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया।पहले चरण की जांच में लगभग 1.36 करोड़ रुपये के घोटाले का पता चला था, लेकिन विस्तृत जांच में यह रकम बढ़कर 6.3 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। पुलिस के मुताबिक, आरोपी बैंक प्रबंधक ने घोटाले के उजागर होने के बाद बैंक को 4.66 करोड़ रुपये वापस किए थे।

 

इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए हुसैनाबाद एसडीपीओ मोहम्मद याकूब के नेतृत्व में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया। जांच टीम में हुसैनाबाद इंस्पेक्टर विनोद राम, थाना प्रभारी सोनू कुमार चौधरी, हैदरनगर थाना प्रभारी अफजाल अंसारी, एसआई मुकेश कुमार और दंगवार ओपी प्रभारी सोनू कुमार शामिल थे।

 

SIT की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। आरोपी बैंक प्रबंधक ने बैंक के फिक्स डिपॉजिट ग्राहकों और महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को अपना मुख्य निशाना बनाया। रिपोर्ट के मुताबिक, फिक्स डिपॉजिट धारकों की जानकारी का दुरुपयोग कर बिना अनुमति उनके खाते से फिक्स तोड़े गए और नकदी की निकासी की गई।महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़े सदस्यों की पहचान का भी गलत इस्तेमाल किया गया। उनके नाम पर फर्जी खाते खोले गए, और फर्जी ऋण स्वीकृत कर राशि निकाल ली गई।

 

जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी बैंक मैनेजर ने घोटाले की रकम का इस्तेमाल अपने पेट्रोल पंप और परिचितों को पैसे ट्रांसफर करने में किया। पुलिस को ऐसे कई बैंक ट्रांजेक्शन के सबूत मिले हैं, जिनसे यह साबित होता है कि पेट्रोल पंप के माध्यम से करोड़ों रुपये का अवैध लेन-देन किया गया।

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