डोनाल्ड ट्रंप बने अमेरिका के राष्ट्रपति: ट्रंप के जीतने पर भारत को फायदा या नुकसान? ये हो सकती है नयी परेशानी
Donald Trump becomes the President of America: India will gain or lose if Trump wins? This could be a new problem
Donald Trump Victory: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होंगे। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत ऐतिहासिक है। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का सीधा मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से रहा। अमेरिका के चुनावी इतिहास में 130 साल में यह पहली बार हुआ है कि पूर्व राष्ट्रपति जो पिछला चुनाव हार गया हो फिर से राष्ट्रपति बनने जा रहा हो। चुनावी जंग में रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (Kamala Harris) आमने सामने हैं और दोनों में कांटे की टक्कर भी चली, लेकिन अब ट्रंप को बहुमत मिल गया है। ट्रंप को 277 इलेक्टोरल वोट मिल गए हैं, जबकि बहुमत के लिए 270 का आंकड़ा छूना ज़रूरी है।
277 इलेक्टोरल वोट मिलते ही ट्रंप का फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनना तय हो गया है। 2016-20 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे ट्रंप की एक बार फिर से व्हाइट हाउस में वापसी होने वाली है। ट्रंप के समर्थकों में ख़ुशी का माहौल है। ट्रंप को इस जीत के लिए बधाइयाँ मिलनी भी शुरू हो गई हैं। ट्रंप इस जीत के साथ अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे।
कई लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप अगर राष्ट्रपति बने तो, भारत पर इसका क्या प्रभाव होगा। हालांकि मोदी और ट्रंप की दोस्ती जगजाहिर है। दिवाली के खास मौके पर ट्रंप ने सोशल मीडिया साइट X पर पोस्ट करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया था। साथ ही अपनी सरकार आने पर दोनों देशों के बीच की साझेदारी को और आगे बढ़ाने का वादा किया है।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान हिंदुओं ओर अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा की भी कड़ी निंदा की है। अब तक कई सारी ऐसी रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जो इस बात की तस्दीक करती हैं कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद सैकड़ों हिंदुओं को जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा था।
एच-1बी वीजा पॉलिसी में बदलाव एक संवेदनशील मामला क्यों है?
एच-1बी वीजा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इंफोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और विप्रो जैसी आईटी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को अमेरिका भेजने की इजाजत देता है. हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे अपने राजस्व के 50 फीसदी से ज्यादा के लिए अमेरिकी ग्राहकों पर निर्भर हैं. हालांकि, अब अमेरिका के इस वीजा को लेकर हालात बदल सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प H-1B वीजा पर
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले H1-B वीजा को अमेरिकी कर्मचारियों के लिए “बहुत खराब” और “अनुचित” बताया था. संभावना है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो वे इसमें बदलाव कर सकते हैं. जब वे 2020 में राष्ट्रपति थे, तो अमेरिकी श्रम विभाग ने H1-B वीजा धारक के न्यूनतम सैलरी को स्टैंडर्ड अमेरिकी कर्मचारी के बराबर बढ़ाने के लिए एक नया नियम प्रस्तावित किया था, लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया था. अगर ट्रंप को जीत मिलती है तो ऐसा हो सकता है कि वह कंपनियों पर दबाव बनाएं कि स्थानीय लोगों को भर्ती किया जाए. साथ ही साथ सैलरी की लिमिट भी बढ़ाई जा सकती है।