रांची। शिबू सोरेन के लोकपाल मामले को लेकर बाबूलाल मरांडी ने निशाना साधा है। बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा शिबू सोरेन के लोकपाल जांच रोकने की अर्जी को खारिज करने का फैसला स्वागत योग्य है। शेल कंपनियों, व्यवसायिक गतिविधियों और अवैध स्त्रोतों से इकट्ठा किए गए अकूत संपत्ति की सीबीआई जांच का मार्ग अब प्रशस्त हो चुका है। झारखंड को लूटने वाले इन भ्रष्टाचारियों को अंततोगत्वा होटवार जेल जाना ही होगा। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या कोई चोर 5-10 साल बाद पकड़ा जाएगा तो क्या उस पर मुकदमा दर्ज नहीं होगा। यह मामला लोकपाल का है और सीबीआई जांच होगी?

वहीं झामुमो की दलील पर कटाक्ष करते हुए मरांडी ने कहा कि शिबू सोरेन ने राजनीतिक प्रभाव का दुरूपयोग कर अपने निजी उपयोग के लिए अवैध संपत्ति अर्जित की है l शिबू सोरेन अपनी चोरी को तो स्वीकार कर रहे हैं लेकिन उनकी दलील है कि, मामले को 7 साल बीत चुके हैं इसलिए जांच नहीं होनी चाहिए l लेकिन ये दलील काफी हास्यास्पद है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि लोकपाल अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार रोकथाम है l शिबू सोरेन अधिनियम में दिए गए जिस समय सीमा का हवाला दे रहे हैं, वह निर्देशात्मक है… अनिवार्य नहीं l

वकीलों की फौज पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद शिबू को इस बात की जानकारी नहीं होना हास्यास्पद है l बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वर्ष 2020 में सांसद निशिकांत दुबे ने शिबू सोरेन द्वारा सत्ता और पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध चल अचल संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच करने के लिए लोकपाल में आवेदन दिया था. कांग्रेस, झामुमो और राजद का भ्रष्टाचार से पुराना नाता रहा है। यह भ्रष्टाचार भी करते हैं और इसकी सजा से बचने के लिए तरह-तरह का हथकंडा अपनाते हैं।

शिबू सोरेन परिवार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार नहीं करने की बात करते हैं वे कहते हैं कि कोई गड़बड़ नहीं किया तो फिर जांच एजेंसियों से क्यों भागते हैं और क्यों जांच रुकवाने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दौड़ते रहते हैं। बाबूलाल मरांडी ने साफ शब्दों में कहा है कि सत्तारूढ़ दल भले ही बीजेपी पर तरह तरह के आरोप लगाए मगर इतना तो साफ है कि जब तक एक-एक भ्रष्टाचारियों को सही जगह तक नहीं पहुंचा दिया जाएगा ।

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