“कुर्सी का भूखा मैं नहीं”…मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बड़ा बयान ….कहा- ‘केंद्र से बकाया पैसा क्या मांगा, मेरे पीछे एजेंसियों को लगा दिया’

नेतरहाट । राजनीतिक उथल पुथल के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने केंद्र पर जान बूझकर परेशान करने का आरोप लगाया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसों से संघर्षरत फायरिंग रेंज के विरोध में जो आप लोगों ने तकलीफ झेली, जो वक्त गुजारा। उस एहसास को, उस तकलीफ में गुरुजी ने भी अपना योगदान दिया था। मुख्यमंत्री ने इस दौरान केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि ,

यह आदिवासी का बेटा है। इनकी चाल से हमारा न कभी रास्ता रुका है, न हम लोग कभी इन लोगों से डरे हैं। हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय को निकाल दिया है। हम आदिवासियों के डीएनए में डर और भय के लिए कोई जगह ही नहीं है।

मुख्र्यमंत्री ने कहा कि संघर्ष यात्रा के दौरान जब मैं महुआडांड़ आया था उस समय कई लोगों से मेरी मुलाकात हुई। उसमें कई बुजुर्ग भी थे। वह यह देखने आये थे कि यह दिशोम गुरुजी का बेटा है और इसमें गुरुजी जैसा दम है कि नहीं। उसी दिन मैंने मन में ठान लिया था कि फायरिंग रेंज की समस्या जड़ से खत्म कर दूँगा।लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। जो संघर्ष और राज्य के प्रति समर्पण का भाव आदरणीय गुरुजी में है, वही समर्पण भाव के साथ हम आप लोगों के बीच में हैं। हमारी ताकत आप ही हैं। और आपकी इसी ताकत से हम विरोधियों से लंबी लड़ाई बड़ी मजबूती से लड़ते हैं।

हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र से राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया क्या माँगा, इन्होंने परेशान करने के लिए एजेंसियों को मेरे पीछे लगा दिया। जब इन्होंने देखा कि मुझे कुछ कर नहीं पा रहे हैं तो गुरुजी जो एक उम्र के पड़ाव पर खड़े हैं, उन्हें परेशान कर मुझ तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं। दुर्भाग्य है हमारा, हम आदिवासियों का कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री एवं आदिवासी राष्ट्रपति ने देश के आदिवासी समाज को शुभकामना सन्देश देना भी उचित नहीं समझा। इनकी नजर में हम आदिवासी नहीं, वनवासी हैं।

उन्होंने कहा कि झारखण्ड के अंदर बाहरी ताकतों का गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह ने विगत 20 वर्षों से राज्य को तहस-नहस करने का संकल्प लिया था। जब उन्हें 2019 में उखाड़ कर फेंका गया तो उन षड्यंत्रकारियों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा कि अगर हम यहाँ टिक गए तो उनका आने वाला समय मुश्किल भरा होने वाला है।

हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया झारखण्ड गरीब राज्य है यहाँ के लोगों के लिए पेंशन और स्वीकृत करें। वह उन्होंने कभी नहीं किया। यह व्यापारियों की जमात है। यह पैसा देना नहीं, पैसा लेना जानती है। देश में झारखण्ड पहला राज्य है जिसने सभी गरीब-वंचित को सर्वजन पेंशन से जोड़ने का काम किया।

सरकारी कुर्सी के भूखा हम लोग नहीं है बस एक संवैधानिक व्यवस्था की वजह से आज हमें रहना पड़ता है क्योंकि उसी के माध्यम से हम जन-कल्याण के काम करते हैं। क्या कभी किसी ने सोचा था कि हर बूढ़ा-बुजुर्ग, विधवा और एकल महिला को पेंशन मिलेगा?आपके बेटा ने आपके आशीर्वाद से वह करके दिखाया।हमारे विरोधी राजनैतिक तौर पर हमसे सक नहीं पा रहे हैं तो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। लेकिन हमें इसकी चिंता नहीं है। हमें यह कुर्सी विरोधियों ने नहीं बल्कि जनता ने दी है। आज का कार्यक्रम मेरा पहले से तय था। यह कुछ कर लें। मेरी जनता के लिए मेरा काम कभी नहीं रुक सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नेतरहाट की इस जमीन पर आदरणीय दिशोम गुरुजी ने पैर रखा था और आंदोलन में योगदान दिया था। मैंने प्रण लिया था कि जनता का आशीर्वाद मिलेगा तो मैं आंदोलन को अंजाम तक जरूर पहुँचाऊँगा। इस समस्या को जड़ से खत्म करूँगा। इस आंदोलन से जुड़े जितने भी केस हैं वह सारे केस भी सरकार वापस लेगी।

हमारा राज्य में ऐसी कई जगह हैं जहाँ पहले किसी सरकार की नजरें नहीं जाती थी, न उनकी आवाज जाती थी। मैं यह नहीं कहता कि मेरे पास जादू की छड़ी है जिससे सब कुछ बदल दूँगा। लेकिन आपने एहसास किया होगा कि सरकार आपके द्वार के माध्यम से सभी पदाधिकारियों को आपके दरवाजे तक पहुँचाया गया।

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