रांची: झारखंड के प्रारंभिक स्कूलों में कुकिंग कास्ट की राशि खत्म हो गई है। इससे स्कूलों में छात्र-छात्राओं के मिड डे मील पर संकट गहरा गया है। राशि नहीं होने पर स्कूलों के शिक्षकों को या तो अपनी जेब से राशि खर्च करनी होगी या फिर उधार में ही सामान लाना होगा। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग का मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण अब एक साथ बचे महीनों की राशि देने की तैयारी कर रहा है।

सरस्वती वाहिनी और रसोईया स्कूल के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों से सामान उपलब्ध होने पर ही मिड-डे-मील बनाने की बात कर रहे हैं। यह स्थिति नई नहीं है। मिड डे मील केंद्र व राज्य के सहयोग से संचालित होता है। केंद्र से राशि आने के बाद राज्यों से मिलाकर उसे दिया जाता है। तीन-तीन महीने की राशि एक बार में जारी होती है। राज्य के प्राथमिक व मिडिल स्कूलों को सितंबर महीने में ही जुलाई से अक्टूबर महीने तक की राशि दी गई थी। अक्टूबर में यह राशि खत्म हो गई है। पूरक पोषाहार अंडा के लिए नवंबर तक की राशि थी। इस राशि से ही मिड डे मील के कुकिंग कॉस्ट। के खर्चे का आवाहन किया गया। अब राशि खत्म हो चुकी है और स्कूल के शिक्षक अपने अपने पॉकेट सब्जी वह दाल तेल मसाला ला रहे हैं। जिन क्षेत्रों में दुकानदार उधार पर समान दे रहे हैं वहां मिड-डे-मील बन रहा है। वहीं अधिकांश जगहों पर दुकानदार भी उधारी देने से इंकार कर रहे हैं।

“मिड डे मील की कुकिंग कॉस्ट की राशि और पूरक पोषाहार अंडा की राशि एक बार में ही पूरे साल की दे देनी चाहिए। इससे राशि में अभाव में स्कूलों में मिड-डे-मील प्रभावित नहीं होगी। स्कूलों का संचालन रोज करना है और हर दिन मिड डे मील भी बनना है तो राशि स्कूलों को दे देनी चाहिए। अक्टूबर से ही राशि खत्म हो चुकी है और अब दिसंबर आ गया है। दुकानदार उधार नहीं देना चाह रहे हैं। ऐसे में बच्चों को मैन्यू के अनुरूप भोजन उपलब्ध कराने में अधिकांश स्कूलों में कठिनाई हो रही है”। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद

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