रांची : कर्मियों को 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त किए जाने संबंधी मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।वर्तमान समय में राज्य भर के कर्मियों की सेवानिवृत्ति उम्र 60 साल है।सभी विभाग में अनुबंध पर कर्मी कार्यरत है, और विभागों में नियमित/ स्थाई कर्मियों की संख्या न के बराबर है। इसके वावजूद सरकार न तो नियमित बहाली कर रही है, न ही अनुबंध कर्मियों को ही नियमित कर रही है। राज्य कर्मी सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

सैप कर्मी सूबेदार की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में हुई. मामले में हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एसएन पाठक की कोर्ट ने प्रार्थी एवं सैप कर्मियों को 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त करने के आदेश पर रोक लगा दी.मालूम हो की स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की कमी बताकर सरकार सेवानिवृत्ति उम्र 67 साल से लेकर 70 साल तक कर दी गई है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट को प्रार्थी की ओर से बताया गया कि डीआईजी सैप ने एक चिट्ठी निकला है जिसमें कुछ लोग जिनकी उम्र 60 वर्ष पूरी हो गई है उन्हें सेवानिवृत्त करने को लिखा है. जबकि समादेष्टा एवं डीआईजी, सैप ने खुद आदेश निकाला है की सैप कर्मियों का सर्विस काल 62 वर्ष तक बढ़ाया जाएगा. सैप कर्मियों को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करना उचित नहीं है. जिस पर कोर्ट ने सैप कर्मियों की 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करने के निर्णय पर रोक लगा दिया है।

प्रार्थी की ओर से सेवानिवृत्ति की निर्धारित सीमा 62 वर्ष करने का आग्रह किया है. चमरा मिंज एवं जगदेव नाग जो सैप में सूबेदार पद पर कार्यरत है उनकी ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने पक्ष रखा.

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