हाईकोर्ट : संविदा स्वास्थ्यकर्मी के लिए बड़ी खुशखबरी, अब मिलेगा इस अवकाश का भी वेतन, हाईकोर्ट ने कहा, संविदाकर्मी हैं, इसलिए विभाग नहीं कर सकता इनकार…

High Court: Big good news for contract health workers, now they will get salary for this leave as well, High Court said, they are contract workers, so the department cannot refuse...

Highcourt News : संविदाकर्मियों को लेकर हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अनुबंधकर्मियों को एक बड़ी सुविधा जल्द मिलनी शुरू हो जायेगी। इस संबंध में अनुबंधकर्मी लंबे समय ने अपनी मांगें उठा रहे थे। प्रावधान के बावजूद इसका लाभ संविदाकर्मियों को नहीं मिल रहा था, लेकिन अब कोर्ट ने इस मामले के तत्काल निराकरण के निर्देश दिये हैं।

 

दरअसल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि संविदाकर्मियों को भी मातृत्व अवकाश के साथ वेतन का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने साफ कहा है कि सिर्फ संविदाकर्मी होने की वजह से किसी को मातृत्व अवकाश का वेतन देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

 

दरअसल इस मामले में एक स्टाफ नर्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मातृत्व व शिशु की गरिमा के अधिकार को संवैधानिक संरक्षण है। इसे प्रशासनिक अधिकारियों के इच्छा के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता स्टाफ नर्स के मातृत्व अवकाश वेतन की मांग पर तीन महीने के भीतर निर्णय लें।

 

पूरा मामला छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले का है, जहां राखी वर्मा नाम की स्टाफ नर्स स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ है। 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया गया था। 21 जनवरी 2024 को बच्ची का जन्म हुआ, जिसके बाद 14 जुलाई 2024 को राखी ने ड्यूटी ज्वाइन की।

 

विभाग की तरफ से अवकाश तो स्वीकृत था, लेकिन मातृत्व अवकाश के वेतन पर विभाग ने निर्णय नहीं लिया। उनका अवकाश अवधि के वेतन का भुगतान अब तक नहीं किया। 25 फरवरी को महिला कर्मचारी ने सीएमएचओ कार्यालय में वेतन के लिए आवेदन किया। लेकिन वेतन का भुगतान फिर भी नहीं हुआ।

 

जिसके बाद महिला स्टाफ नर्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने महिला याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला लेते हुए तीन महीने के भीतर वेतन भुगतान का निर्देश दिया। कोर्ट ने सिविल सेवा अवकाश नियम, 2010 के नियम 38 एवं अन्य लागू दिशा-निर्देशों के अनुसार शासन को विचार करने और आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के भीतर इस संबन्ध में उपयुक्त निर्णय पारित करने निर्देश दिए।

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