झारखण्ड : कॉलेज छात्राओं को प्रतिमाह 1000 रूपये देगी हेमंत सरकार

हेमंत सरकार अब महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंस को हर महीने 1000 रुपए यात्रा भत्ता के तौर पर देगी. इसे नए शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ लागू किया जाएगा. हर वर्ग के विद्यार्थियों को इसका लाभ मिलेगा. उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग इससे संबंधित योजना का प्रस्ताव तैयार कर ली है.
कक्षाओं में 75 % उपस्थित छात्राओं को मिलेगा यात्रा भत्ता
झारखंड सरकार वित्तिय वर्ष 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से इस योजना को लागू करने की तैयारी में है. बता दें कि इस योजना का लाभ उन छात्राओं को मिलेगा, जिनकी कक्षाओं में उपस्थिति 75 फीसदी या उससे अधिक होगी. अधिक से अधिक छात्राएं उच्च शिक्षा की ओर बढ़ेंगे.
इसके लिए राज्य सरकार इस योजना को लागू करने जा रही है. इससे प्लस टू के बाद कॉलेज से दूर होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाली छात्राएं आगे की पढ़ाई के प्रत उन्मुख हो सकेंगी. छात्राओं के कॉलेज आने से राज्य का ग्रॉस एनरॉलमेंट रेसियों भी बढ़ेगा.
वर्तमान में कॉलेज और विश्वविद्यालय की छात्राओं को स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई में फीस नहीं लगती है. उनकी पढ़ाई निशुक्ल है. वहीं पीएचडी में भी छात्राओं को एक साल की छूट है. छात्रों को जहां पांच साल में पीएचडी करनी होती है. वहीं छात्राएं छह साल में पीएचडी कर सकती है.
शैक्षणिक सुविधाओं के लिए 6 पोर्टल होंगे लॉन्च
गौरतलब है कि शैक्षणिक सुविधों के लिए 6 पोर्टल लॉन्च होंगे. रांची में 10 फरवरी को समारोह आयोजित कर इस पोर्टल की लॉन्चिंग की जाएगी. विश्विद्यालयों में डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ाने के लिए और पारदर्शिता लाने के लिए पोर्टल तैयार किया गया है.
क्या होगा इन छह पोर्टलों में
इन छह पोर्टलों में पहला प्राइवेट यूनिवर्सिटी पोर्टल, दूसरा अनुदान वित्त रहित के लिए पोर्टल, तीसरा पे फिक्सेशन पोर्टल, चौथा लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल, पांचवां सीएम फेलोशिप एंड मानकी मुंडा स्कॉलरशिप पोर्टल और छठा प्रेंटिसिप मैनेजमेंट पोर्टल शामिल है.
10 फरवरी को प़ॉलिस पर होगा मंथन
बता दें कि झारखंड सरकार यूनिवर्सिटी कॉलेज रिसर्च स्टार्टअप पॉलिसी तैयार कर रही है. उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देने के ले यह पॉलिसी तैयार किया गया है. इसके जरिए रिसर्च कार्य होंगे. 10 फरवरी को इस पर विचार होगा.
सभी विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, कॉलेजों के प्रिंसिपल समेत कई पदाधिकारी इस पॉलिसी पर अपनी राय देंगे. जिसके बाद ही प़ॉलिसी को अंतिम रूप दिया जाएगा. विभाग की ओर से डिजिटलाइजेशन और पेपरलेस वर्क के लिए पोर्टल को अंतिम रूप दिया जा रहा है.