झारखंड : बेडों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल…झारखंड में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित, मरीजों को हो रही परेशानी
Jharkhand: District hospitals are facing shortage of beds... Health services are affected in Jharkhand, patients are facing problems

झारखंड के जिला अस्पतालों में जरूरत से भी कम बैडों की संख्या है.बता दें कि देश में स्वास्थ्य सेवी की गुणवत्ता में सुधार के लिए मानक के रूप में भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक का उपयोग किया जाता है. आईपीएचएस(IPHS) माने भारतीय स्वास्थ्य मानक निर्धारित करता है कि जिला अस्पताल में बेड की आवश्यकता उस जिले की जनसंख्या पर आधारिक होनी चाहिए. उस लिहाज से देखें तो राज्यभर में आवश्यकता के मुकाबले महज 40 प्रतिशत बेड ही उपलब्ध है. यानि राज्य के जिला अस्पतालों में आबादी में दशकीय वृद्धि दर के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत बेड कम है.
यहीं नहीं, प्रसव के दौरान की जटिलताओं एवं नवजात की देखभाल की बात करें तो राज्यभर के सभी जिला अस्पतालों में महज 1066 बेड उपलब्ध है. इसमें छह जिला अस्पताल ऐसे हैं. जहां मातृत्व एवं शिशु देखभाल के लिए बेड की संख्या 30 या 30 से कम है.
गौरतलब है कि प्रसव के दौरान उचित देखभाल मृत जन्म, नवजात मृत्यु और अन्य जटिलताओं को रोकती है. कोई भी गर्भावस्था किसी भी स्तर पर जटिलता विकासित कर सकती है. ऐसे मामलों के प्रबंधन के लिए प्रसूती देखभाल बहुत जरूरी है.
लेकिन अंकेक्षण में मातृत्व एवं शिशु देखभाल की सेवाओं के संसाधन, प्रबंधन एवं नैदानिक दक्षता में भी कमियां पाई गई. साथ ही यह पाया दाय कि राज्यभर के जिला अस्पतालों में मातृत्व एवं शिशु देखभाल के लिए कुल 1066 बेड उपलब्ध है.
3 सालों में 37 बेड का ही हुआ इजाफा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन सालों में 2019 – 20 से 2021 -2022 तक में महज 37 बेड का ही इजाफा हुआ है.राज्य के कुल 1966 बेड में 200 बेड रांची में है. जबकि लातेहार में महज 21 बेड उपलब्ध है.
मालूम हो कि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक निर्धारित करता है कि जिला अस्पताल की कुल बेड की आवश्यकता जिले की कुल जनसंख्या पर आधारित होनी चाहिए. इसके लिए बेड की आवश्यकता का आकलन जिला अस्पताल में एडमिशन की वार्षिक दर, जो कि प्रति 50 की जनसंख्या पर एक और पांच दिनों के लिए अस्पताल में रहने की औसत अवधि के आधार पर किया जाता है.
लेकिन राज्य के जिला अस्पतालों में भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानके के मुताबिक कुल 9256 बेड की आवश्यकता है. हालांकि जिलों के अस्पतालों में सिर्फ 3710 ही बेड उपलब्ध है.