गढ़वा । एक तरफ सरकार आमजनो को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर चन्द स्वास्थ्यकर्मी इसे मिट्टीपलिद करने में लगे है।सदर अस्पताल गढ़वा में प्रसव कराए जाने के बाद परिजनों से पैसा वसूलने जैसो गोरखधंधा का मामला प्रकाश में आया है। प्रसव वार्ड में कार्यरत नर्स से लेकर महिला गार्ड एवं सफाई कर्मी तक का वकायदा रेट फिक्स है। नार्मल डिलेवरी में लड़का होने पर 1051 रुपये तथा लड़की होने पर 551 रुपये प्रसूता के स्वजनों को बतौर बख्शीश नर्सों को देना होता है।

यहां कार्यरत नर्सों का इतना दबदबा है कि मरीजों से पैसे लेने को लेकर कई बार आरोप लगने के बाद भी उन पर महज दिखावे के लिए ही कार्रवाई होती है। इसके कुछ ही दिनों बाद आरोपित नर्सें फिर से प्रसव वार्ड में पोस्टिंग कराकर अपने पैसे वसूली के अभियान में लग जाती हैं। शनिवार की रात में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जब अनुसूचित जाति की एक गरीब महिला के प्रसव होने पर ड्यूटी में तैनात नर्स, महिला होमगार्ड व सफाईकर्मी मिलकर प्रसूता के स्वजनों से पूरे रौब दिखाकर पैसे वसूल किए।

गढ़वा थाना क्षेत्र के लगमा गांव निवासी छोटू भुइयां की पत्नी सुषमा देवी को शनिवार की रात 10 बजे प्रसव के लिए सदर अस्पताल मेें भर्ती कराया गया था। महिला ने नार्मल डिलेवरी से एक लड़की को जन्म दिया। इसके बाद नवजात बच्ची को देने के नाम पर पैसे मांगने का खेल शुरु हुआ। ड्यूटी में तैनात नर्स पूजा सिन्हा ने 551 रुपये की डिमांड कर दी। जबकि प्रसूता के स्वजनों के पास महज 460 रुपये ही थे। किसी तरह मानमनौव्वल के बाद 300 रुपये में नर्स मान गई। इसके बाद वहां तैनात महिला होमगार्ड ने 100 रुपये वसूल की। हद तो तब हो गई, जब वार्ड में व्हील चेयर से ले जाने के नाम पर महिला सफाई कर्मी ने 100 रुपये की मांग कर दी। लेकिन प्रसूता के स्वजनों के पास 60 रुपये ही बचे थे। किसी तरह महिला सफाई कर्मी को 60 रुपये देकर मनाया गया। स्थिति यह थी कि रविवार की सुबह में प्रसूता के स्वजनों के पास खाने के लिए पैसे भी नहीं थे।

बता दें कि सदर अस्पताल की नर्स पूजा सिन्हा एक वर्ष पूर्व 12 जनवरी 2022 को प्रसव कक्ष में ही पैसे लेने के आरोप में निलंबित किया गया था। इसके बाद उसे सीएचसी मझिआंव भेज दिया गया था। तब पूजा सिन्हा ने प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला के स्वजनों ने तीन हजार रुपये की मांग की थी। पैसे को लेकर जिच के कारण महिला एक घंटे तक दर्द से तड़पती रही थी। तब देर होने से प्रसूता ने मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था।

इस मामले में कार्रवाई के कुछ दिनों बाद अपनी रसूख के दम पर पूजा सिन्हा फिर से सदर अस्पताल में पोस्टिंग करा लिया। इस मिली भगत में स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी की जिम्मेवारी कम नहीं हो जाती क्योंकि जिस कर्मी को महज 1 साल पूर्व ही 3000 रुपए लेने के आरोप में सस्पेंड कर स्थानांतरित गया था फिर से विभाग के पदाधिकारी की मिली भगत से फिर से सदर अस्पताल में पोस्टिंग कर देना जांच का विषय है। मतलब साफ है की की इस पैसे के गोरखधंधे में नीचे से ऊपर तक की संलिप्तता तो नहीं?

क्या कहते हैं स्वास्थ्य पदाधिकारी

मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। इस मामले की जांच कराकर दोषी कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

सौजन्य हमार भवनाथपुर

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