‘फर्टिलाइजर जिहाद के बाद अब असम में हो रहा बाढ़ जिहाद,’ गुवाहाटी में जलभराव को लेकर ये क्या बोल गए हिमंता सरमा?

Flood Jihad In Assam: असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने गुवाहाटी में बाढ़ के लिए मुस्लिम स्वामित्व वाली यूनिवर्सिटी को जिम्मेदार बताया है, जो मेघायल में स्थित है. उन्होंने कहा कि कॉलेज ने लगातार पहाड़ों पर वनों की कटाई की है, जिसके चलते गुवाहाटी में जलभराव की समस्या पैदा हुई.
असम के मुख्यमत्री ने मुस्लिम स्वामित्व वाले कॉलेज में पढ़ने वाले असमिया छात्रों से इसका बहिष्कार करने का आह्वान किया. सरमा ने बाढ़ के पीछे के कारणों के रूप में क्षेत्र की पहाड़ियों में वनों की कटाई की ओर इशारा किया और उस पर ‘जिहाद’ का आरोप लगाया. उन्होंने वहां एक मेडिकल कॉलेज के लिए कैंपस में चल रहे निर्माण कार्य की ओर इशारा किया.
असम के मुख्यमंत्री का अजीब बयान ऐसे समय में जब असम सरकार गुवाहाटी में बाढ़ प्रबंधन को लेकर कड़ी आलोचना का सामना कर रही है. दरअसल, 5 अगस्त को दोपहर में कुछ घंटों की बारिश के बाद गुवाहाटी में अचानक बाढ़ आ गई थी, जिससे शहर थम सा गया था. दो दिन बाद, गुवाहाटी हाई कोर्ट ने शहर में जलभराव के मुद्दे पर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई करते हुए सरमा के नेतृत्व वाली सरकार को फटकार लगाई थी.
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने क्या-क्या कहा था?
चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की पीठ ने गुवाहाटी शहर के नागरिकों की ओर से सामना किए जा रहे परेशानी को ध्यान में रखते हुए कहा कि हमारा मानना है कि जलभराव या बाढ़ की समस्या से निपटने का समय आ गया है. हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य को इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है.
वहीं, बाढ़ के बाद असम के आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने दावा किया कि शहर में पानी का आधे से अधिक हिस्सा मेघालय से आया था. मंत्री ने कहा कि शहर में 1.5 घंटे में 136 मिमी बारिश हुई है, जिसे मौजूदा जल निकासी व्यवस्था बर्दाश्त नहीं कर सकती थी. उन्होंने कहा कि शहर और उसका प्रशासन मेघालय से आने वाले पानी को संभाल नहीं सकता.
शुक्रवार को मंत्री से एक कदम आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने अजीब बयान दे दिया. उन्होंने मेघालय के री-भोई जिले में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी मेघालय (USTM) को बाढ़ के लिए जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि ये वही जिला (री-भोई) है, जहां मेघालय की पहाड़ियां जोराबट में गुवाहाटी में उतरती हैं.
प्राइवेट यूनिवर्सिटी है USTM, 2008 में हुई थी स्थापना
मेघालय साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (USTM) की स्थापना 2008 में की गई थी. ये प्राइवेट यूनिवर्सिटी है, जिसे एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की ओर से बढ़ावा दिया जाता है. इस यूनिवर्सिटी की स्थापना महबूबुल हक ने की थी, जो यूनिवर्सिटी के चांसलर भी हैं. महबूबुल हक असम के बराक घाटी के करीमगंज जिले के बंगाली मूल के मुस्लिम हैं. यूनिवर्सिटी को 2021 में मान्यता के अपने पहले राउंड में NAAC ‘A’ ग्रेड मान्यता प्राप्त हुई. यूनिवर्सिटी में लगभग 6,000 छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश असम से हैं.
हिमंत बोले- कोई इतनी निर्दयता से पहाड़ियां नहीं काटता
हिमंत बिस्वा सर्मा ने कहा कि मुझे लगता है कि यूएसटीएम के मालिक ने जिहाद शुरू कर दिया है. हम ज़मीन जिहाद की बात करते हैं, उसने असम के खिलाफ़ बाढ़ जिहाद शुरू कर दिया है. अन्यथा, कोई भी इस तरह से निर्दयता से पहाड़ियाँ नहीं काट सकता. कोई भी व्यक्ति जो प्रकृति से प्यार करता है, खासकर एक शिक्षण संस्थान, उसे इस तरह से नहीं काट सकता. मुझे इसे जिहाद कहना होगा… मेरा मानना है कि यह जानबूझकर किया गया है. अन्यथा, वे एक आर्किटेक्ट को बुला सकते हैं और पहाड़ियों और पेड़ों को रखते हुए भी एक इमारत बना सकते हैं. वे जल निकासी बना सकते हैं… उन्होंने किसी आर्किटेक्ट की मदद नहीं ली है. केवल बुलडोजर का उपयोग करके, उन्होंने लगातार पहाड़ को काटा है.
सरमा ने घोषणा की कि इसका एकमात्र समाधान यह है कि असम के छात्र और कर्मचारी वहां पढ़ाई और काम करना बंद कर दें. उन्होंने कहा कि कल से अगर गुवाहाटी के छात्र पढ़ना बंद कर दें और गुवाहाटी के शिक्षक वहां जाना बंद कर दें, तो गुवाहाटी की बाढ़ रुक जाएगी… मैंने (मेघालय के सीएम) कॉनराड संगमा को एक पत्र दिया है और मैं उनसे भी मिलूंगा. लेकिन मुझे नहीं पता कि हमारी बात सुनने के बाद वे कितना कुछ कर सकते हैं, क्योंकि नुकसान पहले ही हो चुका है. इसका उपाय यह है कि अगर हमारे छात्र वहां जाना बंद कर दें… तब ये इमारतें बनना बंद हो जाएंगीऔर पेड़ उगने लगेंगे… कुछ चीजों का समाधान आर्थिक है.आर्थिक जवाब दिया जाना चाहिए. तब बहुत सी चीजें ठीक हो जाती हैं.
ये बयान देने के बाद सरमा ने कहा कि यह एकमात्र समस्या नहीं है और गुवाहाटी की अपनी अन्य समस्याएं हैं, जिनके कारण बाढ़ आई होगी. उन्होंने कहा कि गुवाहाटी एक पहाड़ी इलाका है. यहां कई कारणों से बाढ़ आती है… लेकिन अगर जोराबाट में यह जारी रहा तो हम नहीं कर पाएंगे. इसका कोई समाधान नहीं है.
हिमंत के आरोपों को लेकर यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने क्या कहा?
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने सरमा के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ये यूनिवर्सिटी गुवाहाटी में बहने वाले पानी का एक अत्यंत छोटा हिस्सा है. उन्होंने कहा कि यूएसटीएम कैंपस क्षेत्र री-भोई जिले में जोराबाट तक बारिदुआ क्षेत्र का एक छोटा सा हिस्सा है, जो जीएस रोड के दोनों ओर बड़े पैमाने पर विकसित हुआ है. यूएसटीएम परिसर कुल पानी का शायद एक छोटा सा हिस्सा है जो किलिंग रोड से होकर सड़क के दोनों ओर विभिन्न नालों के माध्यम से जीएस रोड [गुवाहाटी-शिलांग रोड] तक बहता है.
प्रवक्ता ने कहा कि कैंपस के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए मेघालय सरकार से सभी आवश्यक अनुमतियां प्राप्त हैं… मेघालय सरकार के सहयोग से हमारी चिकित्सा परियोजना का मार्गदर्शन मुंबई स्थित मेसर्स होस्मैक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स सत्संगी एसोसिएट्स, नई दिल्ली की ओर से किया जा रहा है, जो सलाहकार हैं. डिज़ाइन मार्गदर्शन की समीक्षा आईआईटी विशेषज्ञों की ओर से भी की गई है.
सरमा ने इससे पहले फर्टिलाइजर जिहाद का किया था जिक्र
सरमा ने पहले बंगाली-मुस्लिम किसानों पर फर्टिलाइजर जिहाद का आरोप लगाया था और कहा था कि सब्जियों की खेती में फर्टिलाइज के अनियंत्रित उपयोग से लोगों में बीमारी फैल रही है. उन्होंने राज्य में मुसलमानों को जमीन की बिक्री पर रोक लगाने के फैसले की भी घोषणा की, उन पर “लैंड जिहाद” का आरोप लगाया.
सरमा की हालिया टिप्पणियों पर असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि सरमा ‘बाढ़ जिहाद’ का आरोप लगाकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. बोराह ने कहा कि बाढ़ की समस्या के समाधान के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ सहयोग करने का मुद्दा उनके साथ या केंद्र के साथ बैठकों में नहीं उठाया गया है. वे (सरमा) यूएसटीएम चांसलर पर उनके धर्म के कारण हमला कर रहे हैं. वह (सरमा) खुद गुवाहाटी में एक निजी स्कूल के मालिक हैं, इसलिए अब वह यूएसटीएम जैसे संस्थानों के साथ प्रतिस्पर्धी हैं. सरमा की पत्नी रिनिकी भुयान सरमा गुवाहाटी में वंद्या इंटरनेशनल स्कूल नाम की एक नए प्राइवेट स्कूल की अध्यक्ष हैं.
बाढ़ का कारण क्या हो सकता है?
इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स इंडिया के पूर्वोत्तर चैप्टर के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा का कहना है कि मेघालय में पड़ोसी पहाड़ियों में वनों की कटाई और पहाड़ों की कटाई शहर में पानी के अधिक बहाव का एक कारण है, लेकिन मामला ‘गहरा’ है. शहर के चारों ओर पहाड़ियों से घिरे प्राकृतिक गर्त जैसे आकार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पानी का इस ओर बहना अपरिहार्य है.
उन्होंने कहा कि आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अपवाह कम हो, इसका एकमात्र तरीका यह है कि पहाड़ियाँ हरी-भरी हों और आबादी कम हो. लेकिन इस शहर में भूमि विकास जिस तरह से काम करता है, उसके कारण अलग-अलग उद्देश्यों के लिए कोई नगर नियोजन योजना और आवंटन नहीं हुआ है.