झारखंड में भी क्या ढ़ाई-ढ़ाई साल का मुख्यमंत्री होगा? रोटेशन पर मुख्यमंत्री बनाने की उठी मांग, तो प्रभारी ने नेताओं को दे दिया ये टारगेट...
Jharkhand Vidhansabha Election : झारखंड में क्या रोटेशन पर मुख्यमंत्री बनने को लेकर गठबंधन की शर्तें होगी? क्या ढ़ाई-ढाई साल के कार्यकाल को लेकर भी गठबंधन में बातें हो सकती है? ये बातें इसलिए सामने आयी है, क्योंकि कांग्रेस के नेता अब संगठन में इसकी मांग करने लगे हैं।
रांची में हुई संगठनात्मक बैठक में भी इस पर कांग्रेस के स्थानी नेताओं का जोर दिखा। नेताओं ने पार्टी प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और आब्जर्बरों के सामने ये मांगें उठायी, कि कांग्रेस का भी मुख्यमंत्री झारखंड में होना चाहिये।
कांग्रेस नेताओं की पूरजोर मांगों को फिलहाल कांग्रेस प्रदेश प्रभारी ने ये कहकर शांत करा दिया, कि चुनाव में जब तक 25 से ज्यादा प्रत्याशियों को जिताकर विधानसभा नहीं भेजेंगे, तब तक इस पर बात नही होगी। अगर 10-15 विधायक ही जीतेंगे, तो इन बातों पर चर्चा नहीं हो सकती है।
बैठक में प्रभारी गुलाम अहमद मीर. पर्यवेक्षक भूपेश बघेल, सह प्रभारी सप्तगिरी उलाका और बेला प्रसाद के अलावा प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश व रामेश्वर उरांव जैसे शीर्ष नेता शामिल थे।
बैठक के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता रामेश्वर उरांव ने बताया कि प्रभारी के सामने कांग्रेस के नेताओं ने मुख्यमंत्री बनाने की मांगें रखी, जिसके बाद प्रभारी ने कहा कि 25 से ज्यादा विधायक विधानसभा में भेजें, तभी इस पर चर्चा होगी। 10-15 विधायक ही अगर जितायेंगे, तो इस पर चर्चा नहीं हो सकती है।
वहीं प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि पिछली बार से बेहतर नंबर इस बार आयेंगे। धीरे-धीरे पूरी प्लानिंग के साथ कांग्रेस पार्टी चुनाव के लिए अपने कदम आगे बढ़ा रही है।
वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार को अस्थिर करने की भाजपा की लगातार कोशिशों के बावजूद यहां की सरकार ने बेहतर काम किया है। इसका कारण यह रहा कि सत्ताधारी दल के विधायक एकजुट रहे और जनता भी उनके साथ रही।
उन्होंने कहा कि आज भाजपा को जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं रह गया है। यह सिर्फ प्रचार तंत्र की पार्टी बन गई है। उनसे पूछा जाना चाहिए कि भाजपा के 100 दिन के एजेंडे का क्या हुआ।