रांची: यूं तो राज्यपाल और मुख्यमंत्री की आपसी तनातनी किसी से छुपी नहीं है। लेकिन, आज राज्य स्थापना दिवस पर ये नाराजगी सबके सामने आ गया। झारखंड के इतिहास में पहली बार ऐसा आयोजन हुआ, जब कार्यक्रम में राज्यपाल मौजूद नहीं थे। राष्ट्रपति का कार्यक्रम पहले ही स्थगित हो चुका था, अब राज्यपाल के भी कार्यक्रम से दूरी के बाद राजनीति चरम पर पहुंच गयी है। खबर है कि राज्यपाल रमेश बैस ने कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया था।

राज्यपाल रमेश बैस की नाराजगी का अहसास सरकार को पहले से ही था, लिहाजा आज सुबह हेमंत सोरेन खुद राजभवन पहुंचे थे और उनसे कार्यक्रम में आने का अनुरोध किया था, लेकिन खबर है कि उसी वक्त राज्यपाल ने अपनी स्थिति बतायी थी और कई बार के अनुरोध के बाद ये कहा था… कि अच्छा देखते हैं। राज्यपाल के रूख के बाद अब झारखंड की स्थिति एक अलग सियासी इशारे देने लगा है।

राज्यपाल के रुख के बाद राज्य सरकार ने कार्यक्रम का मुख्य अतिथि भी बदला था और राज्यपाल को मुख्य अतिथि बनाया था। लेकिन आखिरकार राज्यपाल रमेश बैस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। कार्यक्रम बिना मुख्य अतिथि के ही शुरू करना पड़ा. मंच पर शिबू सोरेन के अलावा सीएम हेमंत सोरेन और तमाम मंत्री उपस्थित रहे।
इधर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के एक ट्वीट ने झारखंड की राजनीति को और भी गरमा दिया है। निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया है कि


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी की नज़र में महामहिम झारखंड के राज्यपाल चपरासी के बराबर हैं,आज स्थापना दिवस है और आज ही उनको निमंत्रण,इतना अहंकार ,शब्दों की मर्यादा नहीं! आज अख़बार के विज्ञापन में राज्यपाल जी का फ़ोटो नहीं,यह राज्य प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी है और इसके अधिकारी उनके चमचे

दरअसल निशिकांत दुबे का आरोप है कि राज्यपाल का अपमान किया गया है और होर्डिंग्स और पोस्टरों में रमेश बैस की तस्वीर नहीं है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री का इस पूरे मुद्दे पर क्या रूख होता है, उसका इंतजार किया जा रहा है।

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