धनबाद । आखिरकार जिले के एनएचएम कर्मियों के अनुभव भत्ता मानदेय में जोड़ने का आदेश जिले के सिविल सर्जन को निर्गत करना पड़ा। इस संबंध में सिविल सर्जन डा आलोक विश्वकर्मा ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की आदेश निर्गत कर दिया है। पिछले 3 वर्ष से अनुबंध पर कार्य कर रहे एनएचएम कर्मियों की हकमारी हो रही थी। इस संबंध में राज्य के पत्र के वावजूद इन कर्मियों के मानदेय में अनुभव भत्ता जोड़ कर भुगतान नहीं किया जा रहा था।

आपको बता दें की 15 सालों से भी ज्यादा समय से काम कर रहे जिले भर में अनुबंध कर्मी लगातार यह मांग कर रहे थे कि राज्य के आदेश के अनुरूप उनके मानदेय में अनुभव भत्ता जोड़ कर भुगतान किया जाय परंतु जिले के पदाधिकारी और लेखा प्रबंधक की तरफ से लगातार अड़चन लगाए जा रहे थे। जिसके बाद आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा।

किस किस संगठन का रहा योगदान

मालूम हो कि जिले भर में चार संगठन के योगदान के बाद विभाग सकते में आया। झारखंड चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन, एएनएम जीएनएम संघ, अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मी संघ ने संयुक्त रूप से आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया। जिसके बाद विभाग के अधिकारी को इनकी बात माननी पड़ी और भुगतान का आदेश निर्गत करना पड़ा। चिकित्सा संघ के जिला मंत्री सत्येंद्र शर्मा, ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, एएनएम जीएनएम संघ के माला कुमारी, नामलेन बाडला, पारा चिकित्सा संघ के विवेकानंद, मो रियाज के नेतृत्व में सभी कर्मियों ने आंदोलन में साथ दिया।

संघ की हुई जीत

संघ के पदाधिकारी ने बताया की विभाग के ही कई अधिकारी और जिला लेखा प्रबंधक की तरफ से लगातार जिले के सिविल सर्जन को गुमराह किया जा रहा था और तरह तरह के अड़ंगे लगाए जा रहे थे और भुगतान में अनावश्यक देरी की जा रही थी। जिसके बाद संघ के दबाव और सिविल सर्जन के निर्देश पर आकलन कमिटी का गठन किया गया, 3 महीने के बाद कमिटी रिपोर्ट सौंप दी।उसके वावजूद टालमटोल का रवैया अपनाया जा रहा था।

विभागीय पेंच और लगातार अड़ंगे लगाने से त्रस्त होकर जिले भर के अनुबंध कर्मी 21 मार्च को सिविल सर्जन कार्यालय पहुंच कर पत्र निर्गत करने की मांग की और रात्री के 8 बजे तक सिविल सर्जन कार्यालय में जमे रहे थे। इसके बाद सिविल सर्जन ने संचिका मांग आदेश पत्र निर्गत कर दिया।

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