धनबाद । गोविंदपुर प्रखंड के पंचायत प्रतिनिधि के कारनामे भी अजीबो गरीब है। सरकार ने पंचायतों के अधिकार इस सोच के साथ बढ़ा दिए की वो अपनी पंचायत का सर्वांगीण विकास कर सकेंगे। इसके लिए बहुत सारे विभाग के प्रबंधन का जिम्मा पंचायत प्रतिनिधि मुखिया को दिया गया। पंचायत प्रतिनिधि के अधिकार क्षेत्र में इजाफे में एक महत्वपूर्ण विभाग पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करना है। परंतु पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त होने के बजाय और भी बिगड़ती जा रही है। क्योंकि सप्लाई पानी नियमित रूप से सबको मिले इसका जिम्मा पंचायत प्रतिनिधि ने एक ऑटो ड्राइवर को थमा दिया। जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं।

हम बात कर जिले के जीटी रोड पर बसे गोविंदपुर प्रखंड का। जहां की पानी व्यवस्था एक ऑटो ड्राइवर के हाथों थमा दिया गया है। जिसके बाद पिछले 3 माह से पानी के लिए हाहाकार मचा है। क्योंकि न तो ऑटो ड्राइवर को इसकी जानकारी है न ही पाइप लाइन में होने वाली समस्या की दुरुस्त करने की तकनीकी जानकारी। मसलन पानी के लिए त्राहिमाम होना तय है।

क्या है मामला

3 माह पूर्व स्थानीय जन प्रतिनिधि ने पानी सप्लाई का उचित प्रबंधन का हवाला देकर एक ऑटो ड्राइवर को इसके संचालन की जिम्मेवारी सौंप दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके लिए उसे मासिक भुगतान भी किया जा रहा। परंतु अलग अलग जगहों पर समान रूप से पानी सप्लाई प्रबंधन न होकर अपनी मर्जी और अपने क्षेत्र में मन मुताबिक पानी दिया जा रहा है। सबसे खराब स्थिति बलियापुर रोड, गोविंदपुर थाना के आसपास के क्षेत्र का है। जहां पानी दिखे 3 माह से ऊपर हो गया।

इसकी शिकायत विभाग से करने पर विभाग मुखिया के जिम्मे पानी सप्लाई की बात कह अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। वही अब इन क्षेत्र की जनता उपायुक्त के पास मामला ले जाने के लिए गोल बंद हो रहे हैं।

आखिर क्यों हैं बलियापुर रोड में परेशानी

गोविंदपुर के बलियापुर रोड के नागरिक की सबसे बड़ी परेशानी भूमिगत जल का दूषित होना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 600 फीट नीचे तक का पानी जहरीले कैमिकल से दूषित हो चुका है जो पीने लायक नही हैं। रेजली बांध के आसपास रहने वाले लोगों के लिए एक मात्र पेयजल सप्लाई पानी ही हैं।जिसके बाद भी पानी का न मिलना काफी कष्टदायक है।लोग पानी खरीद खरीद सारे घरेलू कार्य करने को विवश है।

इन सब जानकारी के वावजूद पंचायत प्रतिनिधि द्वारा समस्या समाधान में रुचि नहीं दिखा रहे। कर्माटांड के मुखिया के क्षेत्र में आने इस समस्या के वावजूद कोई पहल नहीं की जा रही है। जिसके बाद अब शिकायत उच्च पदाधिकारी को करने का फैसला किया जा रहा है।

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