गोबिंदपुर (धनबाद)। काम कराकर, पैसे नहीं देना….फिर नौकरी से निकाल देना.!! ऐसा या जमींदारों के जमाने में होता था…या फिर अमरीश पुरी की फिल्मो में नजर आता था..। लेकिन, अब गोबिंदपुर का स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन तो उससे भी दो कदम आगे निकल गया है। हद तो ये है कि कोरोना काल में जिस आपरेटर व VLE ने जान की बाजी लगाकर काम किया। नियुक्ति के बाद से आज तक उन्हें विभाग ने मानदेय दिया ही नहीं।बिना मानदेय पर काम करने वाले इन VLE व आपरेटर के सर पर आसमान तब और गिर गया, जब विभाग ने काम खत्म हो जाने का हवाला देते हुए सभी को पद से हटाने की बात कह दी। ऐसा नहीं था कि ये कर्मचारी अपने मन से स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे थे, उन्हें बकायदा गोबिंदपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी की तरफ से नियुक्ति पत्र दिया गया था। अब विभाग की तरफ से नियुक्ति के बाद भी अगर मानदेय के लिए गुहार लगाना पड़े तो मामला शर्मनाक हो जाता है।

अब बकाया भुगतान के लिए सभी आपरेटर और VLE  दर-दर भटकने को मजबूर हैं। आपको बता दें कि गोबिंदपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोबिंदपुर में कोरोना काल में वैक्सीनेशन के रिकार्ड दर्ज कराने के लिए आपरेटर की नियुक्ति की गयी थी। बकायदा उन्हें ब्लाक डेवलपमेंट आफिसर (BDO) की तरफ से नियुक्ति पत्र दिया गया था और मानदेय देने का अनुबंध किया गया। अप्रैल 2021 से सभी काम करने लगे, लेकिन मई 2021 से अभी तक उनका मानदेय भुगतान नहीं किया गया है।   

कोरोना काल में जो अधिकारी इन कर्मचारियों को हाथों हाथ लेते थे, अब कोरोना का दौर गुजर जाने के बाद मानदेय के मुद्दे पर कोई मुंह उठाकर बात तक नहीं करता। इस मामले में पीड़ित कर्मचारी ने कई दफा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी, ब्लाक एकाउंट मैनेजर और ब्लाक प्रोग्रामिंग मैनेजर से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन ना तो मानदेय भुगतान किया गया और ना ही कोई ठोस आश्वासन दिया गया। ऐसा भी नही है की VLE के रूप में कार्य करने वालो का मानदेय भुगतान अन्य प्रखंडों में नहीं हुआ है।परंतु गोविंदपुर प्रखंड अंतर्गत कार्य करने वाले VLE के मानदेय की राशि का भुगतान न होना अपने आप में जांच का विषय है की आखिरकार इनके हिस्से का भुगतान किस मद में खर्च किया गया ? आखिरकार इतने लम्बे समय तक जान जोखिम में डालकर कर कार्य करने वाले VLE के मानदेय का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार पदाधिकारी के मौन का राज क्या है?

हैरानी की बात ये है कि नियोक्ता आफिसर बीडीओ की तरफ से भी अभ्यर्थी को कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। लिहाजा, अब पीड़ित कर्मचारियों ने धनबाद उपायुक्त से गुहार लगायी है और मानदेय भुगतान कराने की मांग की है।

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