रांची। ज्येष्ठ मास का आखिरी बड़ा मंगल 30 मई 2023, मंगलवार को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ मास के मंगलवार के दिन ही हनुमान जी ने बूढ़े वानर का रूप लेकर भीम से युद्ध किया था और उन्हें हराकर उनका अहंकार तोड़ा था। इसलिए ज्येीष्ठव मास के मंगलवार को हनुमान जी के वरिष्ठन रूप की पूजा की जाती है। ज्येष्ठ मास में आने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल कहते हैं। इसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। इस दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा की जाती है।

इस मौके पर जगह-जगह लोगों को भोजन, लंगर और जलपान कराया जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरी भक्ति से हनुमान जी की पूजा करता है उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसी मान्यता इसी दिन भागीरथी की तपस्या के बाद मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान के बाद दान करना बेहद शुभ फलदाई माना जाता है। इस दिन मां गंगा की विधि-विधान पूर्वक उपासना करने से जीवन में आ रही तमाम समस्याएं दूर हो जाती हैं। सनातन धर्म में मां गंगा को मोक्ष दायिनी के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि गंगा दशहरा के दिन स्नान के बाद मां गंगा के मंत्रों का जाप करने से जीवन में समृद्धि आती है।

इन मंत्रों का जरूर करें जाप
ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
अर्थ – गंगा मैया !! आप विश्वरुपिनी हो, नर नारायण स्वरूपी हो, गंगामाई आपको नमस्कार !!

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
अर्थ – हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों ! (मेरे स्नान करने के) इस जल में (आप सभी) पधारिए ।
गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥
अर्थ- जो मनुष्य सौ योजन दूर से भी गंगाजी का स्मरण करता है उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं और वह अंत में विष्णु लोक को जाता है।
गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं ।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।
अर्थ- गंगा जी का जल, जो मनोहारी है, विष्णु जी के श्रीचरणों से जिनका जन्म हुआ है, जो त्रिपुरारी की शीशपर विराजित हैं, जो पापहारिणी हैं, हे मां तू मुझे शुद्ध कर!

गंगा दशहरा 2023: गंगा से जुड़ी रोचक बातें

  1. गंगा का जन्म: वामन पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में जब एक पैर आसमान में उठाया तो ब्रह्म देव ने उसे जल से धोया और पानी को कमंडल में रख लिया. कमंडल में उस जल से गंगा का जन्म हुआ. यह भी कहते हैं कि वामन देव के पैर से आसमान में छेद हुआ और उससे गंगा का जन्म हुआ.
  2. पिता ब्रह्म देव ने गंगा को दिया धरती पर रहने का श्राप: एक बार ब्रह्म देव की सेवा में देवताओं के साथ राजा महाभिष भी उपस्थित थे. वहां पर गंगा ने उनको देखा. वे दोनों एक दूर देखने लगे. तभी ब्रह्म देव ने उन दोनों को देख लिया. इससे वे क्रोधित हो गए. उन्होंने महाभिष और गंगा को श्राप दिया कि तुम दोनों को पृथ्वी लोक में जन्म लेना होगा क्योंकि स्वर्ग में तुम्हारी इच्छा पूर्ण नहीं हो सकती.
  3. राजा शांतनु से हुआ गंगा का विवाह: कहा जाता है कि ब्रह्म देव के श्राप के कारण ही गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ. फिर महाभिष राजा प्रतीप के घर शांतनु के रूप में जन्में और गंगा पृथ्वी पर स्त्री रूप में आईं. उसके बाद गंगा और शांतनु का विवाह हुआ. उसके बाद उनके 8वें पुत्र के रूप में भीष्म का जन्म हुआ.
  4. गंगा ने अपने 7 पुत्रों को क्यों मारा?: कथा के अनुसार, राजा शांतनु के 8 पुत्र हुए थे. उनमें से पहले 7 पुत्रों को गंगा ने नदी में प्रवाहित कर दिया था. भीष्म उनके आठवें पुत्र थे, जो जीवित रहे. गंगा ने बताया था कि उनके 8 पुत्र वसु थे, जिनको वशिष्ठ ऋषि ने मनुष्य रूप में जन्म लेने का श्राप दिया था. उन वसु के अनुरोध पर ही गंगा ने उनको जन्म दिया और पानी में डुबोकर श्राप से मुक्ति दिलाई, लेकिन जब वे 8वें वसु को डुबोने वाली थीं तो शांतनु ने रोक दिया. वही भीष्म हुए, जिनको अपने जीवन में कष्ट भोगने पड़े.
  5. शिव जी को पति स्वरूप पाना चाहती थीं गंगा
    कहा जाता है कि ब्रह्म देव ने जन्म के बाद गंगा को हिमालय को सौंप दिया था. हिमालय की पुत्री माता पार्वती हैं. इस तरह से गंगा और पार्वती बहन हो गईं. शिव पुराण की कथा के अनुसार, गंगा भगवान शिव को पति रूप में पाना चाहती थीं, लेकिन माता पार्वती इससे खुश नहीं थीं. गंगा ने कठोर तप से भोलनाथ को प्रसन्न किया तो उन्होंने उनको अपने समीप रहने का वरदान दिया. पृथ्वी पर अवतरण से पूर्व भगवान शिव गंगा को अपनी जटाओं में बांध लेते हैं. वहीं से गंगा भगवान शिव की जटाओं से होकर पृथ्वी पर बहने लगती हैं।

बड़ा मंगल पर भूलकर न करें ये 4 गलतियां

  1. बड़े मंगल के दिन रुपया-पैसा उधार देने से बचना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि बड़े मंगल के दिन उधार में दिया धन बड़ी मुश्किल से वापस आता है. साथ ही लोगों को आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों को सामना करना पड़ता है.
  2. बड़े मंगलवार पर उत्तर दिशा में दिशाशूल रहने से इस दिशा में यात्रा करना अशुभ माना जाता है. इस दिन पश्चिम दिशा में यात्रा करने से भी बचना चाहिए. यदि इस दिशा में यात्रा करना बहुत ही आवश्यक है तो यात्रा पर जाने से पहले गुड़ अवश्य खाएं.
  3. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, बड़े मंगल के दिन शुक्र और शनि ग्रह से संबंधित रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए. साथ ही क्रोध करने या किसी व्यक्ति को अपशब्द भी नहीं कहने चाहिए.
  4. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, बड़े मंगल पर नमक, अंडा या मांस-मदिरा के सेवन की मनाही होती है. ऐसा करने से हनुमान जी नाराज होते हैं और जीवन में कई बाधाएं आती हैं.

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