लाखों शिक्षकों की नौकरी खतरे में: नौकरी जाने के डर से शिक्षक उतरे सड़कों पर, सुप्रीम कोर्ट से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक का दरवाजा खटखटा रहे हैं शिक्षक
Jobs of lakhs of teachers are in danger: Teachers took to the streets in fear of losing their jobs, teachers are knocking on the doors of Supreme Court to Prime Minister's Office

Teacher News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए अगले दो वर्षों में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य हो गया है। कोर्ट के इस फैसले से शिक्षकों में हड़कंप है। वहीं कई शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है।
लिहाजा, शिक्षक संघों ने सरकार से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की है और आंदोलन की चेतावनी दी है। आदेश के अनुसार, अब सभी शिक्षकों को अगले दो वर्षों के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर शिक्षकों को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। इस निर्णय से उत्तर प्रदेश के हजारों शिक्षक आक्रोशित हैं और उन्होंने इसे अव्यावहारिक बताया है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित संघ कार्यालय में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक आयोजित हुई। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने कहा कि यह आदेश हजारों शिक्षकों के भविष्य पर संकट खड़ा कर रहा है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की जिम्मेदारी ले और सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करे।
पांडे ने कहा कि 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “जो शिक्षक पिछले कई दशकों से स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, उनसे अचानक परीक्षा देने की अपेक्षा करना न केवल अनुचित है बल्कि उनके आत्मसम्मान पर भी चोट करता है। सरकार को शिक्षकों की स्थिति समझनी चाहिए।”
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक पहल नहीं की तो शिक्षक संगठन सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगा और कानूनी लड़ाई भी लड़ेगा। उन्होंने बताया कि 10 सितंबर से प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजने का अभियान चलाया जा रहा है। अब तक कुल 2,50,453 पत्र भेजे जा चुके हैं और लक्ष्य 20 सितंबर तक पांच लाख पत्र भेजने का है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजा जा रहा है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि टीईटी को अनिवार्य बनाने का फैसला शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया, “55 साल की उम्र में शिक्षक बच्चों को पढ़ाएं या खुद परीक्षा की तैयारी करें? यह शिक्षकों के साथ सरासर अन्याय है।” यादव ने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं की गईं तो शिक्षक संगठन बड़ा आंदोलन करेगा।शिक्षक संगठनों का मानना है कि इस आदेश से शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ेगा क्योंकि बड़ी संख्या में शिक्षक नौकरी छोड़ सकते हैं।









