हाथी भी चोरी होता है: झारखंड में चोरी के इस अनूठे मामले ने सभी को चौकाया, पुलिस की जांच में अजीबोगरीब खुलासा…

Hathi Chori : झारखंड में हाथी चोरी की घटना वाकई में बड़ा अजीबोगरीब है। जांच में कई अनूठी जानकारी मिल रही है, जो बताती है कि चोरी की इस घटना में कई पेंच है। वैसे तो पुलिस ने चोरी हुई हथिनी को 17 दिनों की खोजबीन के बाद बिहार के छपरा जिले से बरामद कर लिया। जांच में खुलासा हुआ कि यह मामला चोरी का नहीं, बल्कि चार साझेदारों के बीच हुए विवाद और धोखाधड़ी का परिणाम था।

राज्य में पहली बार किसी हथिनी की चोरी की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद पुलिस की टीमों ने 17 दिनों तक लगातार तकनीकी जांच और खुफिया प्रयासों के जरिए सुराग जुटाए। आखिरकार हथिनी को बिहार के छपरा जिले से सुरक्षित बरामद कर लिया गया।पुलिस की जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ कि हथिनी चोरी नहीं हुई थी, बल्कि यह मामला चार साझेदारों के बीच हुए विवाद का नतीजा था।

कैसे पहुंची हथिनी छपरा?
चारों ने मिलकर करीब 40 लाख रुपये में हथिनी खरीदी थी, लेकिन तीन साझेदारों ने चौथे को धोखा देते हुए आपस में मिलीभगत कर हथिनी को केवल 27 लाख रुपये में बेच डाला। इस धोखाधड़ी को ही हथिनी की चोरी का रूप दिया गया था।पुलिस के मुताबिक हथिनी को सबसे पहले पैदल ही पलामू से बिहार के गोपालगंज तक ले जाया गया।

इसके बाद उसे एक ट्रक में लादकर छपरा जिले के अमनौर पहुंचाया गया। यहां हथिनी को अमनौर के पहाड़पुर निवासी गोरख सिंह को बेच दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि गोरख सिंह के पास पहले से ही दो हाथी मौजूद थे।

पुलिस और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई
पलामू पुलिस को जब गुप्त सूचना मिली कि हथिनी की खरीद-फरोख्त छपरा में हुई है, तो पुलिस ने स्थानीय वन विभाग और थाना पुलिस की मदद से संयुक्त छापेमारी की। सत्यापन के बाद हथिनी को कब्जे में लिया गया। हालांकि फिलहाल हथिनी को जिम्मेनामा पर गोरख सिंह के पास ही रखा गया है।

महावत फरार, नोटिस जारी
इस प्रकरण में जिस महावत पर हथिनी चोरी का आरोप है, वह अभी फरार है। पुलिस ने हथिनी से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी कर 7 अक्टूबर को पलामू सदर थाने में उपस्थित होने का आदेश दिया है। माना जा रहा है कि इसी दिन मामले की असली पृष्ठभूमि सामने आ सकती है।

मिर्जापुर निवासी ने दर्ज कराई थी शिकायत
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के निवासी नरेंद्र कुमार शुक्ला ने इस मामले में सबसे पहले चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि 11 अगस्त को उनकी हथिनी जोरकट इलाके में मौजूद थी, लेकिन 13 अगस्त को अचानक गायब हो गई। काफी खोजबीन के बावजूद जब कोई पता नहीं चला, तो 12 सितंबर को उन्होंने पलामू सदर थाने में लिखित शिकायत दी।झारखंड पुलिस के लिए यह मामला बेहद अलग और चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि सामान्यत: पशुओं की चोरी की शिकायतें दर्ज होती हैं, लेकिन हथिनी चोरी की रिपोर्ट पहली बार सामने आई। अब पुलिस इस मामले में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की दिशा में जांच आगे बढ़ा रही है।

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