इलेक्ट्रिक कार चलाना पड़ सकता है सेहत पर भारी! नई रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

तबियत बिगाड़ रही इलेक्ट्रिक कारें! नई तकनीक बनी सिरदर्द, रिसर्च में हुआ खुलासा

दुनियाभर में इलेक्ट्रिक कारों की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ रही है। साल 2024 में वैश्विक स्तर पर बेची गई कुल नई कारों में 22% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक कारों की रही। इन्हें पर्यावरण के अनुकूल, साइलेंट और ईंधन की बचत करने वाला विकल्प माना जाता है। लेकिन अब इन कारों को लेकर एक नई और चौंकाने वाली चिंता सामने आ रही है — ये कारें लोगों की तबीयत बिगाड़ रही हैं!

ब्रेकिंग तकनीक से मोशन सिकनेस

फ्रांस के पीएचडी स्कॉलर विलियम एडमंड की रिसर्च के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल हो रही रेजनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक यात्रियों को मोशन सिकनेस (जी मिचलाना, चक्कर आना, मतली) का शिकार बना रही है।
इस ब्रेकिंग सिस्टम में जब स्पीड कम होती है, तो वह ऊर्जा उत्पन्न करता है और उसे बैटरी में स्टोर करता है। लेकिन इस प्रक्रिया में कार की गति अचानक रुकती है और हल्के झटके महसूस होते हैं। यह दिमाग और शरीर के बीच तालमेल को बिगाड़ देता है, जिससे सफर के दौरान यात्रियों को असहजता महसूस होती है।

साइलेंट कार, लेकिन शरीर को भारी!

पारंपरिक कारों में इंजन की आवाज यात्रियों को सफर के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है। लेकिन ईवी में यह संकेत नहीं मिलते — नतीजतन, मस्तिष्क अनजान मोशन को पहचान नहीं पाता और तबीयत बिगड़ने लगती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक कारों की सीटों में आने वाला लो फ्रिक्वेंसी वाइब्रेशन भी इस समस्या को और बढ़ा देता है।

पुलिस भी नहीं बच पाई

डेनमार्क में पुलिस अधिकारियों ने जब इलेक्ट्रिक कारों को ट्रायल पर चलाया, तो उन्हें भी सिरदर्द, चक्कर और मतली जैसी समस्याएं झेलनी पड़ीं।
वहीं सोशल मीडिया पर भी इस विषय को लेकर कई वीडियो और शिकायतें सामने आ रही हैं, जिनमें लोग ईवी में सफर को ‘स्वास्थ्य के लिए खतरा’ बता रहे हैं।

क्या करें?

विशेषज्ञों का मानना है कि रेजनरेटिव ब्रेकिंग अधिकतर कारों में ऑप्शनल होती है और चाहें तो इसे बंद किया जा सकता है। साथ ही कंपन को कम करने के लिए ऑटो कंपनियों को तकनीकी समाधान खोजने होंगे, ताकि ये गाड़ियां वाकई ‘भविष्य की कारें’ बन सकें — बिना स्वास्थ्य पर असर डाले।

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