धनबाद । “डाक्टर साहब सुन लीजिये, हमलोग रिपोर्ट करेंगे, एक हफ्ता में खेला खराब कर देंगे…आपलोगों का” …ACS स्वास्थ्य के निर्देश पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम धनबाद सदर अस्पताल की अव्यवस्था देखकर विफर पड़े। अव्यवस्था का आलम ये था कि ना ड्रेसिंग टेबल की सीट पर रबर सीट मिली और ना ही मशीन चलाने वाला ऑपरेटर आई चेकअप मशीन को ऑपरेट कर पाया। जांच टीम भड़की तो सिविल सर्जन आलोक विश्वकर्मा से लेकर डिप्टी सुपरीटेंडेंट संजीव कुमार बगले झांकने लगे।

अव्यवस्था को लेकर जांच टीम की अधिकारियों को झिड़की का VIDEO भी सोशल मीडिया में सामने आया है। दरअसल पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के अस्पतालों में उपलब्ध जांच मशीन की स्थिति और स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था का जायजा लेने के लिए अलग-अलग जिलों के लिए अलग टीम बनायी थी। एसीएस के निर्देश के चार दिन बाद आज जब जांच टीम धनबाद सदर अस्पताल पहुंची, तो अव्यस्था देख नाराज हो गयी। सदर अस्पताल पहुंचे जांच अधिकारियों में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज, अवर सचिव अजय कुमार सिंह शामिल थे।

जांच मशीन ही नहीं चला पाया आपरेटर, इधर, जांच टीम को डिप्टी सुपरीटेंडेंट देते रहे दलील

जांच के दौरान का जो वीडियो सामने आया है, उसमें जांच टीम आंखों की जांच की एक एडवांस टेक्नोलॉजी मशीन के बारे में पूछ रही है। जांच अधिकारी ये पूछते है कि ये मशीन चलती क्यों नहीं हैं?..जवाब में डिप्टी सुपरीटेंडेंट संजीव कुमार ये कहते हैं कि चेक तो ये लोग ही करेंगे, वो तो इसे चलाते नहीं हैं। जवाब सुनने के बाद जांच टीम के एक और अधिकारी कहते हैं ये तो आपको पता होना चाहिये ना, कि कौन सा मशीन चल रहा है और कौन सा नहीं?…मशीन चल रहा है कि नहीं, ये कौन देखेगा, हम देखेंगे?

संजीव कुमार इस पर विभाग में मैन पावर की कमियों को बताते हैं, जिसके बाद जांच अधिकारी ये कहते हैं, आपका ऑपरेटर तो टेस्ट ही नहीं कर पा रहा है। संजीव कुमार की बातों को सुनकर जांच अधिकारी आश्चर्य जताते हुए कहते हैं कि मशीन चलाने ही नहीं आता है तो चेक क्या करेगे? असिस्टेंट ही जांच कर लेता है। संजीव कुमार इसके बाद टेक्निशियन की योग्यता की जानकारी देते हैं, जिस पर जांच अधिकारी ये कहते हैं कि योग्यता से उन्हें मतलब नहीं है, चालू रहे तभी उसे सुविधा मिलनी चाहिये, उसे वेतन मिलता है ना इसके लिए…

ड्रेसिंग टेबल का रबर सीट ही फटा मिला

वहीं जांच के दौरान अधिकारियों को ड्रेसिंग टेबल की रबर सीट फटी मिली। जांच अधिकारी इसे देखकर भी भड़क गये। जांच अधिकारी ने कहा कि ये तो सबसे महत्वपूर्ण जगह है, जहां मरीज को जान बचाने के लिए लाया जाता है। जांच अधिकारी को नाराज होते देख यहां भी डॉ संजीव कुमार ने किसी महिला स्टाफ को आवाज लगायी और उनसे पूछा कि ये जानकारी उन्हें क्यों नहीं दी गयी। इस पर रबर सीट नहीं है, ये कौन बतायेगा मुझे। महिला जवाब में महिला स्वास्थ्यकर्मी कहती है कि उन्होंने रिक्वायरमेंट भेजवायी है,. जिस पर संजीव कुमार कहते हैं कि किसको भेजवाये हैं। जिसके बाद अधिकारी नाराजगी जताते हुए सिविल सर्जन से कहते हैं, सुनिये डाक्टर साहब हमलोग तो रिपोर्ट करेंगे, एक हफ्ता में आपलोगों का खेला खराब कर देंगे।

सिविल सर्जन ने कहा- मैं ही जिम्मेदार हूं

इधर, इस मामले में सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा से HPBL न्यूज ने जांच टीम की तरफ से अव्यवस्था को लेकर उठाये सवाल को लेकर जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने कहा कि …
देखिये कोरोना काल में जिन चीजों का इस्तेमाल हुआ, उन चीजों का इस्तेमाल अब नहीं हो रहा है। हमारे पास कर्मचारियों की कमी है। कोरोना के समय में वेंटिलेटर आया था, अब वो वेंटिलेटर किसको लगा दें, गड़बड़ियां है तो मैं ही उसके लिए खुद को जिम्मेदार मानता हूं, जांच टीम गयी है, जो वो रिपोर्ट देगी, उसके आधार पर कार्रवाई की जायेगी।

कम संसाधन में जितना करना चाहिये, उतना किया- डॉ संजीव कुमार

वहीं इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का जिम्मा देखने वाले डिप्टी सुपरीटेंडेंट डॉ संजीव कुमार से भी HPBL न्यूज ने बात की। उन्होंने कहा कि कुछ चीजों में उन्होंने सुधार करने को कहा है, जो भी निर्देश मिलेगा उसके अनुरूप काम किया जायेगा। डॉ संजीव कुमार ने कहा कि ..
हमारे पास संसाधन काफी कम है, मैन पावर नहीं है। एक जांच मशीन को लेकर अधिकारियों ने कहा कि ये ऑपरेटर उसे नहीं चला पा रहा है। हमने बताया कि ये वीडियो उनके सदर अस्पताल के लिए नहीं आया था, स्टेट गर्वमेंट ने उसे बलियापुर के लिए भेजा था, लेकिन वहां इस लेवल का टेक्निकल स्टाफ नहीं था, इसे यहां रखा गया है। इस मशीन की जांच हमने मोहल्ला क्लिनिक के लिए जो रिटायर आई स्पेशलिस्ट हैं, उनसे करायी, उन्होंने मशीन को अच्छा बताया है, उसे लेकर अधिकारी कह रहे थे, उसे ऑपरेटर नहीं चला पा रहा है। दूसरा जो आप बता रहे हैं वो ओटी रूम का है, कि वहां ड्रेसिंग टेबल का रबर सीट फटा था, तो वहीं मैं वहां की इंचार्ज को बोल रहा था कि मुझे क्यों नहीं बताया गया। बाकी जो वहां से निर्देश आयेगा, उसका पालन किया जायेगा

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