पुलिस अफसरों पर लटकी तलवार, डीजीपी ने मांगी पेंडिंग मामलों पर रिपोर्ट, दो टूक कहा, अगले महीने होगी समीक्षा, जिम्मेदार अफसरों पर होगी….

Sword hanging over police officers, DGP sought report on pending cases, said bluntly, review will be done next month, action will be taken on responsible officers....

रांची। डीजीपी अनुराग गुप्ता ने राज्य में अपराध के बढ़ते लंबित मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है। राज्य के 24 जिलों में करीब 99,952 मामले अब भी जांच अभी पेंडिंग है, जिससे पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा। डीजीपी ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और साफ कर दिया है कि अक्टूबर में इस पर सख्त समीक्षा होगी। दोषी और लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है।

 

लंबित मामलों का आंकड़ा चौंकाने वाला

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक 1 जनवरी 2020 से 31 जुलाई 2025 तक विभिन्न थानों में लगभग 1 लाख मामले लंबित हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले राजधानी रांची में 16,295 दर्ज हैं। हजारीबाग 11,611 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि तीसरे स्थान पर पलामू है जहां 9,654 मामले लंबित हैं। गिरिडीह (9,344), दुमका (6,612) और देवघर (6,403) जैसे जिले भी इस सूची में शीर्ष पर हैं।जांच एजेंसियों के विशेष थानों में भी सैकड़ों मामले फंसे हुए हैं – सीआईडी में 415, एटीएस में 26 और रेल पुलिस (धनबाद-जमशेदपुर) में 752 मामले लंबित हैं।

 

डीजीपी का सख्त निर्देश

डीजीपी अनुराग गुप्ता ने सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र भेजकर लंबित मामलों की विस्तृत सूची, लंबित रहने के कारण और जिम्मेदार अधिकारियों के नाम मांगे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि ऐसे मामलों को जल्द से जल्द निपटाया जाए और जिन मामलों में लापरवाही साबित होगी वहां प्रशासनिक कार्रवाई अनिवार्य होगी।

 

डीजीपी ने कहा,“पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाना पुलिस की पहली जिम्मेदारी है। लंबित मामलों की समीक्षा अक्टूबर में की जाएगी। जो भी अफसर इस देरी के लिए जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

 

सिस्टम पर उठ रहे सवाल

लगभग 1 लाख लंबित मामलों का बोझ झारखंड पुलिस के लिए चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि जांच की गति धीमी होने से न केवल अपराधी बच निकलते हैं, बल्कि पीड़ितों का पुलिस से भरोसा भी कम होता है। कई मामलों में गवाहों के बयान कमजोर पड़ जाते हैं और मुकदमे सालों तक खिंचते रहते हैं।अक्टूबर में होने वाली समीक्षा बैठक से उम्मीद है कि लंबित मामलों की क्लियरेंस के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। पुलिस विभाग अतिरिक्त संसाधन, फास्ट-ट्रैक जांच टीम और तकनीकी सहयोग लेकर मामलों को तेजी से निपटाने की योजना बना सकता है।

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