पटना। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती है। तेजस्वी जेल भी जा सकते हैं और डिप्टी सीएम की कुर्सी भी गंवा सकते हैं। सीबीआई की याचिका पर दिल्‍ली की विशेष सीबीआइ अदालत सजा सुना सकती है। इससे पहले कोर्ट ने तेजस्‍वी यादव को नोटिस भेजकर उनका पक्ष मांगा है। उनका पक्ष जानने के बाद ही कोर्ट सीबीआइ की याचिका पर फैसला लेगी। एएनआइ के अनुसार विशेष जज गीतांजलि गोयल ने तेजस्‍वी यादव को आइआरसीटीसी घोटाले (IRCTC Scam) के मामले में नोटिस जारी किया है।

सीबीआइ के मुताबिक तेजस्‍वी यादव अपनी ताकत का इस्‍तेमाल कर और सीबीआइ अफसरों को धमकाकर जांच प्रभावित कर सकते हैं। ऐसी हालत में उन्‍हें जेल भेजा जाना चाहिए। सीबीआइ ने कहा है कि तेजस्‍वी यादव ने जमानत की शर्तों का उल्‍लंघन किया है। आपको बता दें कि तेजस्‍वी यादव के अलावा उनकी मां राबड़ी देवी इस मामले में वर्ष 2018 से ही जमानत पर हैं। यह मामला वर्ष 2004 से वर्ष 2009 के बीच का है, जब तेजस्‍वी के पिता लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री हुआ करते थे।

लालू यादव पर आरोप है कि उन्‍होंने आइआरसीटीसी के जरिए रेलवे के दो होटलों को निजी एजेंसी को सौंपने के एवज में करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति अर्जित की है। इस मामले में सीबीआइ चार्जशीट भी समर्पित कर चुकी है। लेकिन, तेजस्‍वी यादव की जमानत पर कोई संकट अब तक नहीं था। दरअसल, तेजस्‍वी ने सीबीआइ से खुलेआम पंगा लेकर अपनी मुश्‍क‍िल खुद ही बढ़ा दी है। 

सीबीआई ने इस आईआरसीटीसी टेंडर घोटाले में 12 लोगों और दो कंपनियों को आरोपित किया था. इस मामले में लालू परिवार पर आरोप है कि उन लोगों ने टेंडर के नियम में बदलाव कर गलत तरीके से होटलों का आवंटन किया था. आरोप है कि होटल के बदले रिश्वत में पटना के एक पौष इलाके में जमीन दिया गया था.

7 साल की हो सकती है सजा 

सीबीआई तेजस्वी यादव समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. इन धाराओं में तेजस्वी यादव के लिए काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है. कोर्ट में इस मामले के ट्रायल के दौरान पर्याप्त सबूत और गवाह सामने आते हैं तो तेजस्वी यादव को 7 साल तक की सजा हो सकती है.

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