झारखंड में कर्मचारियों की प्रोन्नति की मांग तेज, बिहार की तर्ज पर तृतीय श्रेणी में समायोजन की तैयारी

Demand for promotion of employees intensifies in Jharkhand, preparations are underway for adjustment in the third category on the lines of Bihar.

रांची। झारखंड के सरकारी दफ्तरों में कार्यरत चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की प्रोन्नति की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ ने केंद्र सरकार के निर्देशों और बिहार सरकार के मॉडल को उदाहरण बताते हुए राज्य सरकार से जल्द निर्णय लेने की मांग की है। झारखंड गठन के बाद से अब तक किसी भी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को पदोन्नति नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने पहले ही निर्णय लिया था कि अब चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नई नियुक्ति नहीं की जाएगी, बल्कि जो पुराने कर्मचारी हैं, उन्हें प्रोन्नति देकर तृतीय श्रेणी मं़ लाया जाएगा। इसी तर्ज पर अब बिहार ने अपने कर्मचारियों को तृतीय श्रेणी के “एक्जीक्यूटिव असिस्टेंट” पद पर पदस्थापित भी कर दिया है।

 

झारखंड में 30 हजार से अधिक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी कार्यरत:

राज्य में इस समय लगभग 30 हजार चतुर्थवर्गीय कर्मचारी विभिन्न सरकारी कार्यालयों — सचिवालय से लेकर जिला और प्रखंड स्तर तक — कार्यरत हैं। ये कर्मचारी कार्यालयों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन दशकों से पदोन्नति से वंचित हैं।संगठन के अनुसार, कई बार सरकार को इस विषय में ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। मृत्युंजय झा ने कहा —

“सरकार से हमारी अपेक्षा है कि वह राज्य स्थापना दिवस पर सभी कर्मचारियों के लिए सकारात्मक फैसला लेकर उनकी वर्षों पुरानी मांग को पूरा करे। यह न सिर्फ कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाएगा, बल्कि प्रशासनिक कार्यक्षमता भी बेहतर होगी।”

 

नियमावली में विसंगति बनी रोड़ा:

सूत्रों के अनुसार, झारखंड सरकार ने चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को तृतीय श्रेणी में समायोजित करने की दिशा में पहल तो की है, लेकिन नियमावली में कई तकनीकी विसंगतियों की वजह से प्रक्रिया अटकी हुई है। इनमें शैक्षणिक योग्यता और अनुकंपा नियुक्ति के मानदंड सबसे बड़ी बाधा हैं।वर्तमान नियमों के तहत अनुकंपा नियुक्ति के लिए इंटरमीडिएट (12वीं) की योग्यता आवश्यक है, जबकि अधिकांश चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों या उनके परिजनों के पास यह योग्यता नहीं है। इससे कई मामलों में नियुक्ति लंबित पड़ी हुई है।

 

बिहार बना उदाहरण, झारखंड पर दबाव:

बिहार सरकार ने कुछ वर्ष पहले एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने सभी चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को तृतीय श्रेणी में प्रोन्नत कर “ऑफिस एक्जीक्यूटिव असिस्टेंट” पद पर समायोजित किया था। अब झारखंड कर्मचारी संगठन भी उसी मॉडल को अपनाने की मांग कर रहा है।

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि जब केंद्र और बिहार ने यह निर्णय ले लिया है, तो झारखंड को भी अब इस दिशा में जल्द कदम बढ़ाना चाहिए। इससे न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि राज्य के प्रशासनिक ढांचे में कुशल मानव संसाधन की उपलब्धता भी बढ़ेगी।

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