रांची। हाईकोर्ट के रिटायर जज हरिशंकर प्रसाद को महंगाई भत्ता के लिए होईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। राज्य के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त और हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस हरिशंकर प्रसाद ने अतिरिक्त पेंशन में महंगाई नहीं देने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान इस मामले में हाईकोर्ट ने अधिकारियों पर नाराजगी जतायी है। चीफ जस्टिस डा रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मामले में निर्वाचन आयोग को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाते हुए सरकार के पत्र पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार के कामकाज पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के एक पूर्व जज को यहां से वहां दौड़ाना उचित नहीं है। सभी काम के लिए उन्हें कोर्ट में आना पड़ रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य की कार्मिक सचिव वंदना डाडेल भी कोर्ट में मौजूद थी। कोर्ट ने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है। इस तरह का रवैया मनमाना है। इस पर कार्मिक सचिव ने बताया कि इस मामले में मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर अतिरिक्त पेंशन पर महंगाई भत्ता दिये जाने से संबंधित जानकारी मांगी है।

क्या है याचिका में

हाईकोर्ट के रिटायर जज ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर याचिका को लेकर अधिवक्ता ऋषि पल्लव ने बताया कि जस्टिस हरिशंकर प्रसाद को राज्य का मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया था। वर्ष 2006 में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। नियम के तहत राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त को सेवानिवृत्ति के बाद अतिरिक्त पेंशन मिलता है जो केंद्र सरकार के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर होता है. इस अतिरिक्त पेंशन के ऊपर महंगाई भत्ता देय होता है जो प्रार्थी को नहीं दिया जा रहा है. जबकि उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने उक्त राशि का निर्धारण भी कराया था। उनकी ओर से अब तक हाईकोर्ट ने तीन याचिका दाखिल की जा चुकी है।कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए मौखिक तौर पर कहा कि 3 साल से यह केस चल रहा है, लेकिन आज तक इसका निदान नहीं निकल सका है. एक रिटायर्ड जज को इस काम के लिए दौड़ाना अनुचित है. ब्यूरोक्रेसी का रवैया ठीक नहीं है. मामले की उपेक्षा कर सरकार के अधिकारियों ने निंदनीय कार्य किया है. कार्मिक सचिव को इस विषय को खुद देखना चाहिए था.

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...