गाय का दूध बना “नॉन-वेज”? भारत ने अमेरिका के इस ऑफर को क्यों ठुकराया….जानिए दूध के पीछे छिपी डरावनी सच्चाई….

नई दिल्ली: भारत में गाय का दूध सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक संस्कार और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। लेकिन हाल ही में अमेरिका से सामने आई एक रिपोर्ट और दूध से जुड़ा प्रस्ताव भारत सरकार ने ठुकरा दिया — वजह? इसे कहा जा रहा है “नॉन-वेज मिल्क”।
आखिर क्या है “नॉन-वेज मिल्क”?
‘नॉन-वेज मिल्क’ वह दूध है, जो अमेरिका में उन गायों से प्राप्त किया जा रहा है जिन्हें ‘ब्लड मील’ खिलाया जा रहा है। यही कारण है कि इस दूध को मांसाहारी (नॉन-वेज) की श्रेणी में रखा गया है।
ब्लड मील क्या है और क्यों है खतरनाक?
ब्लड मील दरअसल मरे हुए जानवरों जैसे सूअर, मछली या बीमार पशुओं के सूखे खून और मांस से तैयार किया गया चारा है, जिसे गायों के सामान्य चारे में मिलाया जाता है।
यह प्रैक्टिस अमेरिका में दूध की उत्पादकता बढ़ाने और बूचड़खानों के कचरे से कमाई करने के मकसद से तेजी से फैल रही है।
एक्सपर्ट की चेतावनी: “न फायदे का भरोसा, न सेहत की गारंटी”
झारखंड के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अनुज कुमार ने न्यूज़24 से बात करते हुए स्पष्ट किया:
कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं कि ऐसा दूध पीने से इंसानों को कोई विशेष स्वास्थ्य लाभ होता है।
गायों के लिए भी खतरनाक, क्योंकि वे शाकाहारी हैं और उनका पाचन तंत्र मांस पचाने के लिए बना ही नहीं है।
संक्रमण का खतरा, क्योंकि ब्लड मील में बीमार पशुओं के अवशेष भी हो सकते हैं।
🇮🇳 भारत ने क्यों ठुकराया अमेरिकी प्रस्ताव?
भारत की संस्कृति में जहां गौमाता को पूजनीय माना जाता है, वहीं ऐसा दूध जो मांसाहारी स्रोतों से जुड़ा हो, उसे स्वीकार करना सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोणों से अस्वीकार्य है। यही वजह है कि भारत ने इस प्रस्ताव को सीधे तौर पर नामंजूर कर दिया।