दुर्ग। पत्नी के साथ अप्राकृतिक कृत्य में कोर्ट ने बड़ी सजा सुनायी। कोर्ट ने बीबी के साथ अनेचुरल सेक्स के मामले में दोषी मानते हुए 9 साल की सजा सुनायी है। इस मामले में 2016 में केस फाइल हुआ था, बयानों और सुनवाई के बाद कोर्ट ने अब कारोबारी को दोषी माना है। वहीं प्रताड़ना में भागीदार रहे सास-ससुर और ननद को भी सजा सुनायी गयी है। अननेचुरल सेक्स एवं मारपीट के मामले में छत्तीसगढ़ के दुर्ग फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ये फैसला दिया है । पीड़िता ने धारा 377 अननेचुरल सेक्स, 498ए दहेज प्रतिशोध अधिनियम के तहत सुपेला थाने में 7 मई 2016 शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में पीड़िता ने बताया था कि कारोबारी निमिष अग्रवाल के साथ उसकी शादी 2007 में हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद से ही कारोबारी ने अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

कारोबारी अपनी पत्नी को अप्राकृतिक सेक्स के लिए भी मजबूर करता था। पति की प्रताड़ना से तंग आकर उसने 2016 में ससुराल को छोड़कर मायके रहने आ गई।बाद में पीड़िता ने एक बच्ची को गोद लिया और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया दुर्ग जिले की फास्ट कोर्ट ने शनिवार को अप्राकृतिक सेक्स और दहेज प्रताड़ना के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। दुर्ग फास्ट ट्रैक कोर्ट में की गई। कोर्ट ने सारे सबूतों और बयानों के आधार पर पीड़िता के पति निमिष अग्रवाल को धारा 377 का अपराधी पाया, जिसमें उसे 9 साल के सश्रम कारावास और 10000 के अर्थ दंड की सजा सुनाई गई।

वहीं धारा 323 के अधीन दंडनीय अपराध में 1 साल के सश्रम कारावास और 1000 के अर्थ दंड की सजा सुनाई गई।इसके साथ ही ससुर सुनील अग्रवाल, सास रेखा अग्रवाल को धारा 323 का दोषी मानते हुए 10 माह की कैद और 1000 के अर्थ दंड की सजा सुनाई गई। ननद नेहा अग्रवाल को धारा 323 का दोषी मानते हुए 6 माह की कैद और 1000 रुपए के अर्थ दंड की सजा सुनाई गई। दुर्ग के लिए ये इस तरह का पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने सजा सुनायी है।

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