शिक्षक भर्ती परीक्षा का विवाद गहराया: अभ्याथियों के समर्थन में कई राजनेता भी उतरे, क्या बदलेगा नियम..?

रांची: बीएड-डीएलएड कर चुके झारखंड के लाखों छात्र शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में भाग नहीं ले पाएंगे। ऐसा इसलिए कि इन्होंने सात वर्ष पूर्व 2016 में हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास नहीं की है। इन छात्रों का कहना है कि यह दोष उनका नहीं, बल्कि राज्य सरकार का है। शिक्षक पात्रता परीक्षा हर वर्ष आयोजित होनी चाहिए, परंतु वर्ष 2016 के बाद से अब तक टेट एग्जाम हुआ ही नहीं। ऐसे में सरकार हठधर्मिता छोड़े। शिक्षक नियुक्ति के पूर्व वह टेट परीक्षा आयोजित करे।

ऐसा होने से इस इम्तहान में सफल सभी छात्रों को शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में बैठने का अवसर मिल पाएगा। उधर, सीटेट पास छात्रों का कहना है कि उन्हें मान्यता नहीं देना आश्चर्य का विषय है। इन छात्रों का कहना है कि वे केंद्रीय स्तर की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में तो भाग ले सकते हैं, पर अपने ही राज्य की शिक्षक बहाली एग्जाम का हिस्सा नहीं हो सकते। इस बीच छात्रों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी सरकार से गुहार लगाई है कि वह टेट की नई परीक्षा शीघ्र ले और सीटेट पास छात्रों को भी परीक्षा में बैठने का अवसर दे।

बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर लिखा….

विधायक सरयू रॉय ने भी किया समर्थन ..

जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा कि टेट की परीक्षा समय पर कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। सरकार टेट नहीं करा पा रही है, तो विकल्प के रूप में सीटेट अपनाए । यह अभ्यर्थियों के हित में होगा ।

राज्य सरकार ने सहायक शिक्षकों के 26001 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन 19 जुलाई को जारी किया है। इनमें से लगभग आधी सीटों पर कार्यरत पारा शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है। कि पहले से जो टेट पास हैं, उन्हें छह सप्ताह में नियुक्त करने का निर्णय लें। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि टेट परीक्षा का आयोजन जल्द से जल्द किया जाए। इससे पहले भी हाईकोर्ट राज्य सरकार को टेट परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देता रहा है, क्योंकि शिक्षकों की नियुक्ति में टेट पास करने को अनिवार्य किया गया है।

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