रांची। “अनुबंध” ऐसे भी कर्मचारियों के लिए किसी जख्म से कम नहीं है, लेकिन जब अधिकारी उस जख्म पर नमक छिड़कने लगें, तो उसे नासूर बनते देर नहीं लगती। ठीक उसी तरह, जैसा की झारखंड में स्वास्थ्य विभाग के अनुबंध कर्मचारियों के साथ हो रहा। नियमित कर्मचारियों की तुलना में आधे से कम मानदेय पर काम करने को मजबूर अनुबंधकर्मियों से सालों से अनुभव भत्ता नहीं दिया गया। ऐसा नहीं है कि सरकार देना नहीं चाहती,…सरकार ने तो 2019 से ही अनुबंधकर्मियों को 3 साल पूरे होने पर 5 प्रतिशत और 5 साल पूरे होने पर 15 प्रतिशत एक्सपीरियेंस एलाउंस देने का निर्देश दिया था, लेकिन विडंबना ये है कि प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को सरकार के निर्देश के बावजूद एक्सपीरियेंस भत्ता नहीं दिया गया।

कितने कर्मियों का किया शोषण

आंकड़ों में देखें तो झारखंड में स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध पर कार्यरत डाक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ, लैब टेक्निशियन, रेडियोग्राफर, फार्मासिस्टों, डाटा ऑपरेटर, कार्यालय कर्मी, प्रबंधक की संख्या हजारों में है। जिनमें कई स्वास्थ्यकर्मी 15-15 वर्षों से ज्यादा वक्त से कार्यरत है। मतलब सरकार के निर्देश के मुताबिक उन्हें उनके मानदेय में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी मिलनी थी, लेकिन जिला स्तर पर तैनात अधिकारियों ने सरकार के आदेश के ठेंगा दिखाते हुए मानदेय में 15 प्रतिशत (10%+5%) की राशि नहीं जोड़ी। लिहाजा एक-एक अनुबंधकर्मियों को 50 हजार से 3 लाख तक नुकसान प्रतिवर्ष झेलना पड़ रहा है।

कितनी लग चुकी है चपत

एक अनुमान के मुताबिक किसी एएनएम को अगर 20 हजार (अनुमानित) रुपये का मानदेय प्रतिमाह मिलता है, तो उन्हें प्रतिमाह 3 हजार यानि एक साल में ये आंकड़े हुए 36 हजार। मतलब अगर 2019 से मिलने वाले इस एक्सपीरियेंस अलाउंस को देखें तो आंकड़ा 1 लाख 8 हजार हो जाता है। मतलब एक अनुंबधकर्मी जिनका मानदेय 20 हजार रूपये हैं, उसे अधिकारियों की भर्राशाही की वजह से 1 लाख से ज्यादा का चपत लग चुकी है। वहीं अगर किसी डाक्टर की सैलरी अगर 1 लाख रुपये हैं, तो उन्हें हर महीने 15 हजार का नुकसान हो रहा है। एक साल में ये आंकड़ा 1.80 लाख रुपये होता है, वहीं 2019 से जोड़कर देखें तो ये आंकड़ा 5.40 लाख पहुंचता है।

कौन लगा रहे ये चपत

अनुबंधकर्मी सरकार पर शोषण का आरोप लगाते हैं, लेकिन जिस तरह से NHM ने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भर्राशाही की पोल खोली, उससे तो यही लग रहा है कि अनुबंधकर्मियों का शोषण सरकार से ज्यादा विभागीय अधिकारी-कर्मचारी ही कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो 2019 के क्रियान्वयन में लापरवाह अफसरों को तीन साल का वक्त नहीं लगता । अगर राज्य शासन स्तर पर इस पर ध्यान नहीं दिया जाता, तो ना जाने कब जाकर अनुबंधकर्मियों को उनका हक मिलता, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है।

सबसे ज्यादा रोड़ा जिला लेखा प्रबंधक की तरफ से

फिलहाल राज्य सरकार की सख्ती और जिम्मेदार लोगों के मानदेय रोकने के निर्देश के बाद अनुबंधकर्मियों की उम्मीदें तो जरूर बढ़ी है, कि जल्द ही उन्हें मानदेय में अनुभव भत्ते को जोड़कर लाभ मिलेगा। लेकिन राज्य सरकार को स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों में भी पदस्थ ऐसे गैर जिम्मेदार अफसरों की नकेल कसने की जरूरत है, ताकि पहले से ही शोषित अनुबंधकर्मियों के शोषण की हिमाकत कोई और नहीं कर सके।

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