दुमका । उपराजधानी दुमका के घनी आबादी के बीच बने रेलवे स्टेशन पर कोयला डंपिंग यार्ड में नियमों की अनदेखी पर एनजीटी के द्वारा जुर्माना लगाए जाने के बावजूद रेलवे अपनी मनमानी पर आमदा है। आसनसोल रेल डीआरएम परमानंद शर्मा के बयान का सिविल सोसायटी घोर निन्दा करती है। इस संबंध में सोसायटी के अध्यक्ष राधेश्याम वर्मा और सचिव संदीप कुमार जय बमबम ने कहा है कि दुमका के घनी आबादी वाले जगह पर कोयला डंपिंग यार्ड बनाकर यहां के लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

जानलेवा होता जा रहा है डंपिंग यार्ड

रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वाले लोग कोयले के धूलकणों से परेशान हो रहे हैं लेकिन रेलवे के अधिकारियों को इस बात की तनिक भी चिंता नहीं है।हरे – भरे पेड़ भी काले पड़ चुके हैं।रेलवे स्टेशन पर रेलवे के यात्रिगण कोयले की पर डस्ट पर बैठने को मजबुर हैं। यहां बताते चलें कि दुमका रेलवे स्टेशन को अमृत स्टेशन बनाने की घोषणा की गई है। ऐसे में कोयला रैक के रहते अमृत स्टेशन के सपनों पर पानी फिर सकता है। यात्री सुविधा की बात तो छोड़ दीजिए सफाई के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति की जाती है ।

डीआरएम का बयान

डीआरएम ने साधी चुप्पी

डीआरएम परमानंद शर्मा सिविल सोसायटी के सवाल पर चूप्पी साध लेते हैं । दरअसल दुमका की होली – भाली जनता के साथ यह रेलवे का बहुत ही भद्दा मज़ाक नहीं तो और क्या है। रेलवे प्रबंधन अपनी कार्यशैली से सिविल सोसायटी को जनहित में आंदोलन के लिए मजबूर कर रही हैं। क्योंकि आमजनों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर कोयला डम्पिंग,लोडींग व स्टाकयार्ड चलाना असंवैधानिक हैं।

क्या कहते हैं DRM

यहां बताते चलें कि आसनसोल रेल डीआरएम परमानंद शर्मा ने कहा कि दुमका में यात्री सुविधाओं में वृद्धि के लिए वह निरीक्षण के लिए आए हैं साथ ही एनजीटी द्वारा जुर्माना लगाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वृक्ष नहीं लगाया गया था जिसके कारण जुर्माना की बात कही साथ उन्होंने कहा कि फिलहाल दुमका से कोयला डंपिंग यार्ड हटाने की कोई योजना अभी नहीं है।

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