दुमका। राजनीतिक उठापटक के बीच झारखंड में भाजपा का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही राज्यपाल से मिल सकता है। सांसद निशिकांत दुबे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इशारों में ये संकेत दिये हैं कि हेमंत सोरेने की अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाने की मंशा को कभी कामयाब होने नहीं दिया जायेगा। जल्द ही इस लेकर राज्यपाल से मुलाकात कर भाजपा ये मांग रखेगी की, अगर कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव उनके पास आता है, तो कोई निर्णय लेने से पहले वो जरूर विधिक सला लें।

दुमका में पत्रकारों से बातचीत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाने की अगर हेमंत सोरेन कोशिश करेंगे, तो उनकी बहुत बड़ी गलती होगी। बाबूलाल मरांडी ने महाराष्ट्र हाईकोर्ट के एक निर्णय की प्रति दिखाई. इस संदर्भ में बाबूलाल मरांडी ने बताया कि जिस राज्य में विधानसभा के चुनाव होने में एक साल का समय बाकी रह जाता है और ऐसी स्थिति में कोई भी विधानसभा सीट खाली होती है तो वहां चुनाव नहीं हो सकता। सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद अगर गांडेय सीट खाली हुई है और वहां से अगर अपनी पत्नी कल्पना को हेमंत सोरेने चुनाव लड़ाना चाहते हैं तो ऐसा संभव नहीं है।

बाबूलाल ने कहा कि राज्य में एक बार फिर से संवैधानिक संकट उत्पन्न होने की स्थिति है। कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यह पता है कि उनकी पत्नी अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। इसलिए उन्होंने झामुमो विधायक से इस्तीफा करवाया है। बाबूलाल ने महाराष्ट्र हाइकोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड में विधानसभा चुनाव होने में एक साल से भी कम वक्त है और कोर्ट के उस आदेश के मुताबिक एक साल से कम समय रहने पर विधानसभा उपचुनाव कराया जाना असंवैधानिक है।

कहा कि झारखंड में पिछला विधानसभा चुनाव का परिणाम जिस दिन से आया है, उस दिन से ही चुनाव आयोग विधानसभा का गठन कर दी है। ऐसी परिस्थिति में झारखंड में भी उपचुनाव कराया जाना असंवैधानिक होगा क्योंकि अब यहां भी एक साल से कम बचा है।

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