CM हेमंत सोरेन ने पुरानी पेंशन का ऐलान कर भी दिया, .तो क्या अटक जायेगा OPS का मामला ?... .केंद्र किस तरह से बन रहा है OPS के लिए रोड़ा, पढ़िये

रांची । … तो क्या पुरानी पेंशन की राह आसान नहीं है ?….क्या मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी केंद्र की रहमोकरम पर ops लागू होगा?….क्या NPS के तहत काटी गयी राशि फंस जायेगी ? …पुरानी पेंशन को लेकर कर्मचारी जहां पूरी तरह से लामबंद हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई सवाल भी कर्मचारियों में है। सबसे मुश्किल वाली बात ये सामने आ रही है कि अगर राज्य ने पुरानी पेंशन की घोषणा कर भी दी, तो क्या केंद्र की इजाजत के बगैर उसे लागू कर पाना आसान होगा? … दरअसल ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अभी NPS की तहत कर्मचारियों की काटी गयी राशि पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट आथिरिटी आफ इंडिया यानि PFRDAI है।

नयी पेंशन योजना यानि NPS को बंद कर OPS लागू किया जाता है तो PFRDAI में NPS के तहत कटौती की गयी राशि राज्य सरकार वापस मांगेगी। दरअसल अभी सरकार के OPS लागू करने के पीछे का मकसद यही है कि एक तो उन्हें कर्मचारियों की कटौती के साथ NPS का अंशदान नहीं देना होगा, दूसरी बात ये NPS के तहत काटी गयी कर्मचारियों की रकम उन्हें एकमुश्त केंद्र से मिलेगा, जो सरकार के खाते में आयेगा, जिसका इस्तेमाल कर्मचारियों के लिए किया जायेगा।

लेकिन, हाल के दिनों में ये देखा गया है कि ना तो राजस्थान और ना ही छत्तीसगढ़ सरकार के पैसे केंद्र ने लौटाये हैं, PFRDAI को तो छत्तीसगढ़ वित्त विभाग ने पत्र लिखकर कटौती की गयी 17 हजार करोड़ रूपये लौटाने को कहा था, लेकिन केंद्र से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी, जिसके बाद खुद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीधे प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और कर्मचारी हित में 17 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम वापस देने की मांग की। ताकि पुरानी पेंशन योजना को लेकर प्रावधान शुरू किया जा सकेगा, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार का किसी भी तरह का सपोर्ट पुरानी पेंशन के तहत नहीं आया है।

लिहाजा, एक आशंका तो मन में तैरती ही है कि क्या पुरानी पेंशन की राह बहुत मुश्किल हैं। झारखंड सरकार के भी कर्मचारियों की भी नेशनल पेंशन स्कीम की तहत 17 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि पीएफआरडीएआई में जमा है। ऐसे में अगर राज्य ने अनुमति दे दी, लेकिन केंद्र से रजामंदी नहीं मिली तो मामला फंस सकता है। झारखंड सरकार की अभी तक की तैयारी है कि 1 अगस्त से प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया जाये।

छत्तीसगढ़ और राजस्थान में एनपीएस बंद कर ओपीएस को 1 अप्रैल से 2022 से लागू करने का फैसला लिया है। इन दो राज्यों में तो कर्मचारियों की एनपीएस के तहत कटौती और राज्य सरकार ने अपना राज्यांश देना बंद भी कर दिया है। अभी राज्य सरकार सामान्य भविष्य निधि के तौर पर 12 प्रतिशत की राशि की कटौती कर रही है। लेकिन इन दो राज्यों में अभी भी केंद्र सरकार की तरफ से राशि लौटाने को लेकर केंद्र राजी नहीं हुआ है। लिहाजा अब राज्य अपने स्तर से विकल्पों पर विचार कर रहा है।

सरकार चाहती है की कर्मचारी हित में ops लागू किया जाय ऐसे में कर्मचारी संगठन उनकी सोच को और भी मजबूती प्रदान करने के लिए आंदोलन का सहारा ले रही ताकि जल्द से जल्द ops की घोषणा कराई जा सके।

HPBL Desk
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