पूर्णिया। सिविल सर्जन डा एसके वर्मा ने अपने क्रियाकलापों ने स्वास्थ्य विभाग के नियम कायदों का सत्यानाश कर दिया। ना तो दवा खरीदी में नियमों का पालन किया और ना ही विभागों के निर्देशों पर अमल किया। हद तो तब हो गयी, जब ये उजागर हुआ कि सिविल सर्जन ने ही अपने ही नाते रिश्तेदारों की बनायी कंपनी से दवा की खरीदी कर ली। अब इस मामले में जांच के आदेश दिये गये हैं। जांच में खुलासा हुआ की क्लोरिस नामक कंपनी जिसका अनुबंध सीएस के पुत्र के नाम से दिया गया है।

सदर अस्पताल में दवा खरीदी मामले में अब सिविल सर्जन पर शिकंजा कसता दिख रहा है। पूर्णिया प्रमंडलीय आयुक्त गोरखनाथ की जांच में हुए खुलासे के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है। जांच में यह बात सामने आई है की दो वर्षों से सीएस के रूप में काम करते हुए एसके वर्मा ने कई निविदा अपने रिश्तेदारों के नाम की कंपनी से की। इस मामले में चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई की क्लोरिस इंटर प्राइजेज उपकरण की आपूर्ति करने वाली एजेंसी है, लेकिन उसने दवा की निविदा में भी भाग लिया. अमरग कंपनी सीएस बनने के बाद अपने बेटे के नाम से बनाई।

सीएस ने कंपनी के नाम से न केवल निविदा गिरवाया बल्कि, उस निविदा को स्वीकृत कर उससे खरीददारी भी की. जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर खरीददारी की गयी है, उसे देखकर पूर्णिया आयुक्त भी दंग रह गए। अब इस मामले में आयुक्त ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर पूर्णिया के डीसी से तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है।

ये बातें भी सामने आयीहै कि सिविल सर्जन ने अपने बेटे बहूं और पत्नी के अलावा कई रिश्तेदारों के नाम से दवा की खरीददारी की। बाढ़ के दौरान लाइमन पाउडर और हेलोजन टैबलेट की बड़ी खेप सीएस ने खरीदी उसमें तीन निविदा डाली गयी।  क्लोरिस डाटा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दूसरी कंपनी अमराग इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और तीसरा निविदादाता प्रीति इंटर प्राइजेज ने डाला था। यह तीनों ही कंपनी सीएम के परिजनों और रिश्तेदारों के नाम से है। तीन निविदा डालकर प्रीति इंटर प्राइजेज के नाम से निविदा स्वीकृत कर ली गयी।  

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