रांची । 20 साल से अराजपत्रित कर्मचारियों के वेतन भुगतान से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई. सुनवाई के दौरान झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह सशरीर उपस्थित रहे. इस संबंध में पांच अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसे संवेदनशील मामले में झारखंड मूकदर्शक बना हुआ है और इस मामले में किसी वकील को नियुक्त करने की भी परवाह नहीं कर रहा है. इसके बाद ही मुख्य सचिव की सशरीर उपस्थिति को लेकर कोर्ट ने निर्देश जारी किया था. मालूम हो की मामला 20 सालों से लंबित है।

मुख्य सचिव की मिली छूट

आज की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से अदालत से गुजारिश की गई कि आगामी सुनवाई के दौरान चीफ सेक्रेटरी को सशरीर उपस्थित होने से मुक्त किया जाए। महाधिवक्ता की इस आग्रह को अदालत ने स्वीकार कर लिया है। अदालत ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित होने से छूट दी है। झारखंड सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन, अधिवक्ता प्रज्ञा सिंह बघेल और अधिवक्ता पल्लवी लांगर ने पक्ष रखा।

बनेगी तीन सदस्यीय कमिटी

सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का समाधान निकालने का निर्देश जारी करते हुए कहा कि इसके लिए तीन सदस्यीय कमिटी बनायें। इस कमिटी में झारखंड, बिहार और केंद्र सरकार के अवर सचिव रैंक के अधिकारी को रखने को कहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 7 नवंबर की तारीख तय की है।

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