रांची। कैबिनेट की बैठक अब से कुछ देर बाद शुरू होने वाली है। कल विधानसभा का विशेष सत्र होना है, उससे ठीक पहले ये कैबिनेट की बैठक हो रही है, लिहाजा कैबिनेट के बड़े फैसले पर हर किसी की नजर पड़ी है। कैबिनेट में क्या कुछ होने वाला है, इसकी जानकारी छन-छनकर सामने आ रही है। सबसे बड़ी खबर संविदाकर्मियों के नियमितिकरण को लेकर आ रही है। जानकारी के मुताबिक आज कैबिनेट में कुछ संविदाकर्मियों के नियमितिकरण पर मुहर लगेगी। वित्त विभाग के तीन दर्जन से अधिक संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए प्रस्ताव की खामियों को दूर कर लिया गया है। पिछली बार कैबिनेट विभाग ने रोस्टर को लेकर इस मामले में आपत्ति दर्ज कराई थी जिस कारण से ऐन मौके पर प्रस्ताव को कैबिनेट से स्वीकृति नहीं मिली थी।

झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र (11 नवंबर को प्रस्तावित) से ठीक एक दिन पहले झारखंड कैबिनेट की बैठक में स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए पहले से तय 1932 के खतियान को आधार बनाने से संबंधित विधेयक को अंतिम रूप देने तैयारी कर ली गई है। माना जा रहा है कि कई जिलों में 1932 में सर्वे नहीं हुआ था और ऐसे जिलों के लिए विशेष प्रविधानों को विधेयक में स्पष्ट रूप से उल्लेख किए जाने की बात कही जा रही है।

वहीं आज की बैठक में बेरोजगारी भत्ता पर मुहर लगेगी, जानकारी के मुताबिक ट्रेनिंग के बाद भी रोजगार नहीं पा सके युवाओं को झारखंड सरकार एक हजार रुपये मासिक का बेरोजगारी भत्ता देगी। कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण को सीधे रोजगार से जोड़कर लांच करने को तैयार इस योजना के लिए प्रारंभिक तौर पर पांच जिलों का चयन किया गया है जिनमें रांची, धनबाद, बोकारो और जमशेदपुर के शामिल होने की सूचना है।

गुरूजी क्रेडिट कार्ड योजना भी राज्य स्थापना दिवस के मौके पर लांच होगी। इसके तहत सभी वर्गों के होनहार छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए सरकारी गारंटी पर क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। गुरुवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में आधा दर्जन के करीब सड़कों से संबंधित प्रस्ताव हैं।

वहीं प्रायोगिक परीक्षा के लिए युवाओं को राज्य सरकार कोचिंग करायेगी। आज कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर भी मुहर लगेगी। सारथी योजना के तहत युवाओं को कोचिंग दिलाने के लिए राज्य सरकार बेहतर शिक्षकों के माध्यम से इन्हें अलग से पढ़ाई करने का मौका देगी। कुछ बच्चों के लिए आवासीय तौर पर भी कोचिंग की व्यवस्था होगी।

झारखंड में स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए फार्मूला तैयार कर लिया गया है और अब यह तय है कि जिन लोगों के नाम अथवा उनके पूर्वजों के नाम 1932 के खतियान में शामिल होंगे, उन्हें ही स्थानीय माना जाएगा। दो माह पूर्व सितंबर में कैबिनेट में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी। कुछ जिलों में अंतिम सर्वे 1932 में नहीं होने के आधार पर कांग्रेस समेत कई दलों के नेता इसमें सुधार की मांग भी कर रहे थे। अब जाकर विधेयक को अंतिम रूप दिया जाएगा तो उसमें ऐसी आपत्तियों का समाधान भी होगा।विधेयक को विधानसभा से पास कराने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। दूसरी ओर झारखंड पदों एवं सेवाओं की नियुक्ति में आरक्षण अधिनियम 2022 हेतु विधेयक पर भी विचार हो सकता है।

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