झारखंड : डायन के नाम पर बर्बरता…हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, हेमंत सरकार की कार्रवाई पर उठाए सवाल”
"Barbarity in the name of witch... High Court's harsh comment, questions raised on Hemant government's action."

झारखंड के लोहरदगा जिले में डायन के नाम पर एक ही परिवार के तीन लोगों की खौफनाक हत्या मामले पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. इस हृदय विदारक घटना ने एक बार फिर राज्य में डायन प्रथा निवारण अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को तुरंत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने सरकार से पिछले दो वर्षों में ‘डायन प्रथा निवारण अधिनियम, 1999′ के तहत दर्ज किए गए सभी मामलों का विस्तृत ब्योरा मांगा है. इसके साथ ही, न्यायालय ने दर्ज मामलों के अनुसंधान की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी देने का निर्देश दिया है.
अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी
मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को निर्धारित की गई है. कोर्ट ने इस मामले को वर्ष 2015 और 2012 में दायर इसी तरह की जनहित याचिकाओं (PIL) से जुड़े रिकॉर्ड के साथ सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया है.
क्या थी घटना?
गौरतलब है कि यह जघन्य वारदात लोहरदगा के पेशरार प्रखंड अंतर्गत केकरांग बरटोली गांव में 9 अक्टूबर की देर रात हुई थी. जहां डायन होने के संदेह में एक ही परिवार के तीन सदस्यों – 50 वर्षीय लक्ष्मण नगेसिया, उनकी पत्नी 45 वर्षीय बिफनी नगेसिया और 9 वर्षीय बेटे रामविलास की कुदाल से काटकर हत्या कर दी गई थी.
मृतक लक्ष्मण नगेसिया की बहू सुखमनिया के बयान पर पुलिस ने प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी. ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि पड़ोस के कुछ परिवार बिफनी नगेसिया पर लगातार डायन होने का आरोप लगाते थे. उनका मानना था कि उनके घर में किसी के बीमार पड़ने पर बिफनी ही जादू-टोना कर उनकी जान लेने की कोशिश कर रही है. घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी गांव से फरार हो गए थे. वारदात के समय लक्ष्मण, बिफनी और उनका बेटा रामविलास एक कमरे में थे, जबकि बहू सुखमनिया दूसरे कमरे में मौजूद थी.
बता दें कि हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद, अब इस संवेदनशील और सामाजिक बुराई से जुड़े मामलों पर सरकार की जवाबदेही और कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी.









