ब्रेकिंग : बीवी का फोन पासवर्ड मांगना बन सकता है घरेलू हिंसा! हाईकोर्ट के इस फैसले ने तोड़े पुराने रिश्तों के नियम

ब्रेकिंग : बीवी का फोन पासवर्ड मांगना बन सकता है घरेलू हिंसा! हाईकोर्ट के इस फैसले ने तोड़े पुराने रिश्तों के नियम

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम और ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि पति अपनी पत्नी से उसका मोबाइल फोन पासवर्ड, सोशल मीडिया लॉगिन या बैंक डिटेल्स की जानकारी जबरदस्ती नहीं मांग सकता। कोर्ट ने इस मांग को व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन माना और कहा कि ऐसा करना घरेलू हिंसा के दायरे में भी आ सकता है।

यह फैसला न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकलपीठ ने उस मामले में सुनाया जिसमें एक पति ने अपनी पत्नी पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाते हुए उसकी कॉल डिटेल्स मांगी थीं।

🔹 क्या था पूरा मामला?
पति ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i-a) के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका फैमिली कोर्ट में दायर की थी। आरोप लगाते हुए उसने पत्नी के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की मांग की। यह मांग फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दी, जिसे बाद में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तलाक का आधार क्रूरता है, न कि व्यभिचार (adultery), तब कॉल डिटेल जैसी निजी जानकारी मांगना अनुच्छेद 21 के तहत मिले निजता के मौलिक अधिकार का सीधा उल्लंघन है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि विवाह का मतलब ये नहीं कि एक साथी को दूसरे की हर निजी जानकारी पर स्वचालित अधिकार मिल जाए। एक-दूसरे की निजता का सम्मान करना रिश्ते की गरिमा को बनाए रखने के लिए जरूरी है।

🔹 किस फैसले का दिया हवाला?
कोर्ट ने कई ऐतिहासिक मामलों का हवाला दिया जिनमें:

के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार (2017)

PUCL बनाम भारत सरकार (1996)

Mr. X बनाम हॉस्पिटल Z (1998)

इन सभी में निजता के अधिकार को मौलिक और व्यक्ति की गरिमा से जुड़ा बताया गया है।

🔹 कोर्ट का दो टूक संदेश:
“पारदर्शिता और साझेदारी विवाह की नींव है, लेकिन यह निजता के उल्लंघन की छूट नहीं देती।”

अंत में कोर्ट ने पति की याचिका को बिना ठोस आधार के मानते हुए खारिज कर दिया और फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।

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