रांची ।देवघर का प्रसिद्ध त्रिकुट रोप – वे हादसे की बड़ी वजह सामने आई है। हादसे की जांच के लिए बनी उच्च सत्रीय कमिटी को भेजे गए रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ। हादसे की वजह रिटर्न शाफ्ट के स्टील में हाइड्रोजन की अधिक मात्रा, ग्रीस की कमी और टेंशन मैनेजमेंट सही नहीं होना त्रिकूट रोप-वे दुर्घटना होना बताया गया है.

मालूम हो की झारखंड में देवघर ही एकमात्र ऐसी जगह है जगह पर्यटन को ध्यान में रखते हुए त्रिकुट पर्वत पर रोप वे की व्यवस्था की गई है। परंतु 2021 में रोप वे में बड़ा हादसा हुआ था। जिसमें कई लोगो की जान चली गई थी। और कई घंटो तक पर्यटक रोप वे में फंसे रहे थे। और अंत में एनडीआरएफ की टीम ने कई लोगों की जान बचाई थी।

सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दुर्घटना के कारणों की जांच के बाद रोप-वे दुर्घटना की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित समिति को भेजी गयी रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है. समिति ने भविष्य में रोप-वे को शुरू करने से पहले सेफ्टी ऑडिट कराने और ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार जरूरी बदलाव करने की भी अनुशंसा की है, क्योंकि हादसे के बाद रोप-वे के बाकी उपकरणों के भी नुकसान होने की आशंका है.

क्या कहता है रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया कि रिटर्न शाफ्टटूटने की वजह से रोप-वे हादसा हुआ था. इंस्टीट्यूट ने टूटे हुए रिटर्न शाफ्टकी जांच में पाया गया कि शाफ्टबनाने में इस्तेमाल किये गये स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा 5.62 पीपीएम (87% अधिक) थी, जबकि इसे 2-3 पीपीएम तक ही होना चाहिए था.

हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होने से शाफ्टमें परतें बनीं और दरार पैदा हुईं. वहीं, रोप-वे में लगे बियरिंग आदि में निर्धारित मानक के तहत ग्रीस का आयतन नौ होना चाहिए, जबकि यह सिर्फ 0.96 ही था. इससे बियरिंग, शाफ्टऔर अन्य उपकरणों में अत्यधिक घर्षण पैदा हुआ.

कर्मियों की दक्षता पर उठे सवाल

समिति को सौंपी गयी रिपोर्ट में रोप-वे के ऑपरेशन और मेंटेनेंस पर भी सवाल उठाये गये हैं. कहा गया है आपरेशन में लगे लोग पूरी तरह प्रशिक्षित और दक्ष नहीं थे. रोप-वे के लिए निर्धारित बीआइएस मानकों का अनुपालन नहीं हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रिकूट रोप-वे के निर्माण के बाद बीआइएस मानक निर्धारित किये गये. इसलिए बाद में इस रोप-वे में बीआइएस मानकों को पूरा करने का फैसला किया गया, पर इसे पूरा नहीं किया गया.

समय अंतराल पर रोप वे की जांच नहीं

दुर्घटना से पहले रोप-वे के शाफ्टकी जांच वर्ष 2016 में दो बार, वर्ष 2018, 2019 और वर्ष 2021 में एक-एक बार हुई थी, लेकिन किसी जांच रिपोर्ट में शाफ्टके स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होने या अन्य किसी तरह की खामियों का उल्लेख नहीं किया गया था. सिर्फ 2016 और 2018 की जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया था कि 100 प्रतिशत शाफ्टकी जांच नहीं की गयी है.

रिटर्न शाफ्ट टूटने की क्या थी वजह

रोपवे का टेंशन मैनेजमेंट भी सही नहीं था. इससे रिटर्न शाफ्टपर अत्यधिक दबाव पड़ा और वह टूट गया. रिटर्न शाफ्टके टूटने की वजह से ‘बुल ह्वील’ अपनी जगह से खिसक गया. इसी वक्त एक ट्रॉली अपर रिटर्न स्टेशन (यूटीपी) से लौट रही थी. वह रस्सी से छूट कर जमीन पर गिर गयी और बाकी ट्रॉलियां भारी कंपन के साथ रुक गयीं.

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