रांची। अनुकंपा नियुक्ति को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अब विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार होगा। हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई विवाहित महिला मृतक पर पूरी तरह से आश्रित हैं तो उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिये। विवाहित को नौकरी नहीं देना लिंगभेद के दायरे में आता है। कोर्ट ने विभाग को 8 सप्ताह के भीतर अनुकंपा नियुक्ति का आदेश दिया है।

दरअसल रीता गिरि नाम की महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में रीता ने बताया था कि उनकी मां ऊर्जा विकास विभाग में नियमित कर्मचारी थी। 23 जून 2012 को उनका निधन हो गया। वो माता पर पूरी तरह से आश्रित थी। उन्होंने अक्टूबर 2013 में अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आवेदिका को विवाहित बताकर आवेदन खारिज कर दिया गया।

दरअसल जिस वक्त रीता गिरी ने आवेदन दिया था, वो अविवाहित थी, उनके भाईयों को भी अनुकंपा नियुक्ति पर कोई आपत्ति नहीं थी। आवेदन देने के चार साल बाद अनुकंपा नियुक्ति कमेटी के सामने आवेदन रखा गया, तो कमेटी ने ये कहकर आवेदन खारिज कर दिया कि आवेदिका विवाहित है। जिसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी।

झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पूर्व में भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए विवाहित पुत्री को भी अनुकंपा नियुक्ति का हकदार बताया। ऊर्जा विकास निगम की ओर से बताया गया कि विवाहित लड़की को अनुकंपा पर नियुक्त करने का प्रविधान नहीं है, इसलिए प्रार्थी का आवेदन खारिज किया गया है। इसके बाद अदालत ने सभी प्रक्रिया पूरी कर आठ सप्ताह में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया।

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