नई दिल्ली। कोई माता पिता अपने बच्चों का नाम लालू यादव (Lalu Yadav) रखें या राहुल गांधी (Rahul Gandhi), उनको कौन रोक सकता है, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस टिप्पणी के साथ एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी, जिसमें ये दलील दी गयी थी कि हमनाम वाले नेताओं को चुनाव लड़ने से रोका जाये। सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि मिलते जुलते नाम वाले डमी उम्मीदवारों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाये। लेकिन अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि ये याचिका सुनवाई के लायक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा “अगर किसी और का नाम भी राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव है, अगर उनके माता-पिता ने ऐसा नाम चुना है, तो क्या हम उन्हें चुनाव लड़ने से रोक सकते हैं? क्या माता पिता को अपने बच्चों के ऐसे नाम रखने से रोका जा सकता हैं.” याचिकाकर्ता साबू स्टीफेन का कहना था कि इस तरह के नाम वाले उम्मीदवारों को जानबूझकर वोटरों को भ्रमित कर चुनाव को प्रभावित करने के लिए उतारा जाता है। सर्वोच्च अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा हुआ है कि मशहूर उम्मीदवार हमनामों की वजह से बहुत कम अंतर से चुनाव हारे हैं. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग को अदालत निर्देश दे कि इस मामले की गहराई से जांच पड़ताल की जाए, ताकि इस तथ्य का पता लगाया जा सके। हालांकि कोर्ट ने कहा कि याचिका सुनवाई लायक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि माता पिता अपने बच्चों का नाम लालू यादव रखें या फिर राहुल गांधी रख दें, उनको कौन रोक सकता है. अदालत की तरफ से याचिका पर इनकार के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी वापस ले ली.

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