बाबूलाल मरांडी का इंटरव्यू: झारखंड में क्यों हुई भाजपा की इतनी बुरी हालत ? जयराम महतो को लेकर क्या बोले बाबूलाल…पढ़िये ये इंटरव्यू

Babulal Manradi's interview: Why is the condition of BJP so bad in Jharkhand? What did Babulal say about Jairam Mahto... read this interview

Babulal Marandi Interview: NDA ने चुनाव पूर्व जीतने का दावा 50 से ज्यादा सीटों पर किया था, लेकिन जब नतीजे आये, तो वो 24 पर ही अटक गयी। इसके लिए पीछे की वजह तलाशी जा रही है।

गलतियां पार्टी की कमजोरी से हुई, या विरोधियों की मजबूती से, इसे लेकर भाजपा आकलन में जुटी है। कमाल की बात ये है कि इस चुनाव में भाजपा ने आदिवासी की अस्मिता का मुद्दा उठाया था, लेकिन भाजपा को आदिवासी अंचलों में सिर्फ 1 सीट मिल पायी।

वहीं हेमंत सोरेन की JMM के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन ने 81 विधानसभा सीटों में से 56 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल कर ली है। करारी हार के बाद बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने द इंडियन एक्सप्रेस को एक इंटरव्यू दिया है। बाबूलाल मरांडी ने स्वीकार किया है कि परिणाम पार्टी की उम्मीदों के विपरीत हैं और ये काफी चिंतित करने वाला है।

सवाल के जवाब में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नतीजे हमारे पक्ष में नहीं रहे। हम चिंतित हैं क्योंकि हमारे कार्यकर्ताओं ने हमें पॉजिटिव रिस्पांस दिया था। इस तरह के नतीजों की उम्मीद नहीं थी।

शायद एक कारण ‘मैय्या सम्मान योजना’ (वंचित महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता योजना) का गहरा प्रचार भी रहा है, जिसका प्रभाव हम नहीं आंक पाए। गरीबों ने इसे तत्काल राहत के रूप में देखा और इसका असर हुआ। इसका फायदा जेएमएम को मिला।

कई जगहों पर पार्टी नेताओं की कार्यशैली पर उठ रहे सवालों के जवाब में मरांडी ने कहा कि भाजपा की ओर से कोई चूक नहीं हुई। पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने प्रचार किया। सभी ने अपनी भूमिका अदा की है।

हालांकि हार की समीक्षा के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पार्टी का संदेश दोतरफा था – घुसपैठ और भ्रष्टाचार। हमारे संदेश को नकारने वालों से ज़्यादा लोगों ने मैय्या सम्मान योजना में लाभ देखा और इस तरह जेएमएम को वोट दिया।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि एक और कारण झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख जयराम महतो थे, जिनके उम्मीदवारों ने कई निर्वाचन क्षेत्रों में वोट हासिल किए। जबकि जेएलकेएम ने केवल एक सीट जीती, इसके नेताओं ने कम से कम 16 सीटों पर जीत के अंतर से ज़्यादा वोट हासिल किए।

मुख्यमंत्री नहीं प्रोजेक्ट करने को लेकर उठ रहे सवाल पर मरांडी ने कहा कि नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। 2014 में भी, हम बिना सीएम चेहरे के चुनाव में उतरे थे और अपने दम पर 37 सीटें हासिल करने में कामयाब रहे थे।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासियों के बीच काम करना होगा और उनका विश्वास जीतना होगा। यह सिर्फ़ चेहरे से नहीं हो सकता, बल्कि संगठनात्मक रूप से और अपनी नीतियों के ज़रिए किया जाना चाहिए। हमें सर्वकालिक विकास को ध्यान में रखते हुए चुनाव लड़ना होगा। तभी आदिवासी क्षेत्र में कुछ बेहतर नतीजे आ सकते हैं।

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