झारखंड की नई शराब नीति पर बाबूलाल मरांडी का बड़ा सवाल…जनता से पूछा- क्या वाकई शराबबंदी जरूरी है?
Babulal Marandi's big question on Jharkhand's new liquor policy...asked the public- Is liquor ban really necessary?

झारखंड सरकार ने नई उत्पाद नीति बनाई है जिसे लेकर अब विपक्ष सरकार पर हमलावर है.नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने नई शराब नीति को लेकर झारखंड की जनता से सीधा सवाल किया है.
बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर पूछा सवाल
बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर लिखा- झारखंड की जनता से सीधा सवाल…क्या आप तीसरे शराब घोटाले को चुपचाप होते देखेंगे?
हेमंत सोरेन सरकार फिर वही चाल चल रही है नई शराब नीति के नाम पर घोटाले की तीसरी स्क्रिप्ट लिखी जा रही है. पहले दो घोटाले अभी भी जांच में हैं, लेकिन अब एक और घोटाला नीति की शक्ल में आपके सामने खड़ा है.
क्या है इस नई नीति का असली खेल?
अब दुकानों की नीलामी “यूनिट” के हिसाब से होगी — एक यूनिट में 1 से 4 दुकानें.
कोई भी व्यक्ति या एक समूह एक ज़िले में 12 यूनिट्स(48 दुकानें ) और पूरे राज्य में 35 यूनिट्स(140 दुकानें ) ले सकता है.
मतलब? एक माफिया 140 दुकानें तक ले सकता है… और वो भी कागज़ों में अलग-अलग नामों से.
सरकार कहेगी: नाम अलग हैं, पर मालिक वही. यही है इस नीति की सबसे बड़ी साज़िश.
जनता को क्या मिलेगा?
बेरोजगार युवाओं को कोई मौका नहीं
– ग्रामीण महिलाओं को कोई लाभ नहीं
– छोटे दुकानदारों के लिए कोई जगह नहीं
– बस वही रसूखदार जो पहले से सत्ता के करीब हैं, अब खुलेआम कब्जा करेंगे.
बाबूलाल ने पूछे तीन सवाल
हमारा सवाल है:
- क्यों नहीं लागू होती “एक व्यक्ति, एक दुकान” की नीति?
- क्यों नहीं होता यह नियम कि जो लाइसेंस ले, वही खुद दुकान भी चलाए?
- क्यों नहीं मिलती प्राथमिकता उन महिलाओं को जो आज भी अवैध शराब के दलदल में फंसी हैं?
झारखंडवासियों, अब वक्त है सवाल पूछने का:
क्या आप चाहते हैं कि राज्य की सारी शराब दुकानें कुछ माफियाओं के हाथ में चली जाएं?
क्या आप चाहते हैं कि आपके गांव, आपकी बस्ती में रोजगार के नाम पर सिर्फ धंधेबाज़ी हो?
अब चुप मत रहिए। ये नीति शराब व्यापार नहीं, शराब माफियाओं का संविधान है. अगर सरकार ने ये नीति नहीं वापस ली, तो हर गांव, हर पंचायत, हर ज़िले से आवाज़ उठेगी.