बाबूलाल ने राज्यपाल से मुलाकात कर फिर बढ़ाया राजनीतिक पारा, बोले, लालू यादव की राह पर चलना चाहते हैं हेमंत, अपनी पत्नी को बनाना चाहते हैं मुख्यमंत्री

रांची। राज्यपाल से मुलाकात कर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर से राजनीति गरमाहट ला दी है। मंगलवार को राज्यपाल से मिलने पहुंचे मरांडी ने अपनी उस चिट्ठी के संदर्भ में भी चर्चा की, जिसमें उन्होंने लिखा था कि क्यों गांडेय में उपचुनाव नहीं हो सकता है। गांडेय विधायक डॉ सरफराज के इस्तीफे के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी और बताया था कि कैसे गांडेय में उपचुनाव नहीं हो सकते। मरांडी ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि चुनाव आयोग को इस संबंध में जानकारी भेजी जाए।
राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरफराज अहमद का इस्तीफा अकारण नहीं हुआ। गांडेय में उपचुनाव नही कराया जा सकता है। सेक्शन 151ए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर सामान्य चुनाव में एक साल के कम का समय शेष हो तो उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है। बाबूलाल मरांडी ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल को उनके द्वारा पिछले तीन जनवरी को भेजे गए पत्र की चर्चा की है। साथ ही, राज्य मे एक भावी संवैधानिक संकट की संभावना की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया है।
उन्होंने कहा कि झारखंड में गांडेय के विधायक द्वारा दिए गए इस्तीफे के तहत उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है. सेक्शन 151ए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर सामान्य चुनाव में एक साल के कम का समय शेष हो तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकता।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने निर्णय (प्रमोद लक्ष्मण गुढ़ाधे बनाम भारत निर्वाचन आयोग) में ये स्पष्ट किया था कि अगर सामान्य चुनाव एक साल के अंदर होना हो तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते. 8 जनवरी 2024, को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश, जिसमें एक साल की अवधि से कम समय रहने पर भी उपचुनाव कराने का आदेश दिया गया था, उसपर रोक लगा दी गई है।
झारखंड में विधानसभा चुनाव दिसंबर 2024 में होने हैं. सितंबर-अक्टूबर से प्रक्रिया शुरू हो जाती है. अतः सेक्शन 151ए, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आलोक मंर उपचुनाव नहीं कराए जा सकते।
उन्होंने कहा कि जिस दिन विधानसभा क्षेत्र के नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव आयोग को विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित करके यह बता देता है कि किस दल से और कितने निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं. वहीं, तिथि विधायक के निर्वाचन की मानी जाती है. सरकार का गठन, विधानसभा सत्र कुछ दिन बाद हुआ. इससे उसका कुछ लेना देना नहीं है।