झारखंड : साहिबगंज में मंत्री दीपिका पांडेय सिंह से मिले सहायक अध्यापक, बोले- 2019 में किया वादा निभाइये
Jharkhand: Assistant teachers met minister Deepika Pandey Singh in Sahibganj, said- keep the promise made in 2019

झारखंड सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने साहिबगंज में ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह से मुलाकात की और मांगों के संबंधित ज्ञापन सौंपा.
प्रतिनिधिमंडल ने स्थायीकरण और वेतनमान का 6 साल पुराना वादा याद दिलाते हुए मंत्री दीपिका पांडेय सिंह के सामने सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा में आकलन परीक्षा पास करने वाले पारा शिक्षकों को भी शामिल होने का अवसर देने, मेडिकल बीमा और किसी पारा शिक्षक की अकस्मात मृत्यु होने पर उनके आश्रित को अनुकंपा पर सीधी नियुक्ति देने की मांग रखी.
सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों ने मंत्री दीपिका पांडेय सिंह को तर्क सहित समझाया कि उनकी मांगें कैसे जायज हैं.
मोर्चा के साहिबगंज जिलाध्यक्ष अशोक कुमार साह ने मंत्री को ज्ञापन सौंपा.
2019 में किया गया वादा निभाएं हेमंत सोरेन!
झारखंड राज्य प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ के प्रदेश महासचिव विकास कुमार चौधरी ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान का वादा किया था लेकिन 6 साल बाद आज भी ये पूरा नहीं किया गया.
विकास चौधरी ने कहा कि बिहार में सरकारी शिक्षक नियुक्ति में दक्षता अथवा आकलन परीक्षा पास करने वाले पारा शिक्षकों को भी शामिल होने का मौका मिलता है जबकि झारखंड में ऐसा नहीं है.
उन्होंने तर्क दिया कि प्रदेश में वर्ष 2016 से ही टेट परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया है तो ऐसे में आकलन परीक्षा पास कर चुके पारा शिक्षकों को सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने का मौका दिया जाये. साथ ही टेट के समकक्ष मानदेय की भी मांग है.
पारा शिक्षकों ने मेडिकल बीमा की मांग की
संघ ने मंत्री दीपिका पांडेय सिंह से कहा कि प्राकृतिक आपदा अथवा सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले आम नागरिकों को 4 लाख रुपये की सरकारी सहायता मिलती है लेकिन लगभग 20 साल सेवा दे चुके पारा शिक्षकों के साथ अनहोनी हो जाए तो उनके आश्रितों को आर्थिक लाभ नहीं मिलता.
इसी प्रदेश में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को न्यूनतम अंशदान पर कम से कम 6 लाख और अधिकतम 10 लाख रुपये का मेडिकल बीमा मिलता है.
संघ की शिकायत है कि पारा शिक्षकों को इससे क्यों वंचित किया गया है?
अनुकंपा पर नौकरी का नियम विरोधाभासी
संघ ने कहा कि 28 अगस्त 2024 को विभाग के साथ समझौता हुआ लेकिन अधिकारियों ने अनुकंपा पर आश्रितों को नौकरी की मांग पर विरोधाभासी निर्णय लिया है.
कहा है कि अनुकंपा आधारित पदों पर सहायक अध्यापकों के आश्रितों को 30 फीसदी आरक्षण देंगे जबकि इसमें सीधी नियुक्ति का प्रावधान होना चाहिए.
संघ ने दावा किया कि सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2021 को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद 300 सहायक अध्यापकों की आकस्मिक मौत हो चुकी है लेकिन किसी भी आश्रित को अनुकंपा पर नौकरी का लाभ नहीं मिला.
मानदेय वृद्धि और कार्यकाल बढ़ाने की भी मांग
सहायक अध्यापक संघ ने मंत्री दीपिका पांडेय सिंह के सामने मांग रखी है कि 28 अगस्त 2024 को हुये समझौते के मुताबिक उनके मानदेय में तत्काल 1 हजार रुपये की वृद्धि हो.
प्रतिवर्ष मानदेय में 4 फीसदी वृद्धि की जाये.
सहायक अध्यापकों का कार्यकाल बढ़ाकर 65 वर्ष किया जाए. गौरतलब है कि 8,000 वैसे शिक्षकों की सेवा खत्म कर दी गई जिन्होंने विद्यापीठ देवघर अथवा यूपी के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से इंटरमीडिएट की डिग्री ली थी.
संघ की मांग है कि इन्हें दोबारा नौकरी पर बहाल करके इंटरमीडिएट करने का मौका दिया जाये.