रांची झारखंड के सहायक पुलिस कर्मी को एक माह का सेवा विस्तार दिया गया है। इस संबंध में गृह विभाग की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है। इस आदेश से राज्य भर में करीब 2500 कर्मियों की लाभ मिलेगा। मालूम हो कि गुरुवार को 3 जिलों के 500 सहायक पुलिसकर्मियों (ASSISTANT POLICEMEN) का अनुबंध खत्म कर दिया गया था। जिसके बाद सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन की तैयारी में थे। अलग-अलग जिलों में अलग-अलग तिथि से नियुक्त हुए सहायक पुलिसकर्मी की अनुबंध (CONTRACT) की अवधि नियुक्ति तिथि से तय होती है। जिन जिलों में नियुक्ति पहले हुई है उन जिलों का अनुबंध गुरुवार से समाप्त हो गया था।

सेवा विस्तार के उपरांत कार्य पर लौटते सहायक पुलिसकर्मी

दुमका, सिंहभूम और सिमडेगा जिले का अनुबंध हो गया था समाप्त

झारखंड के दुमका, सिमडेगा और सिंहभूम के करीब 500 सहायक पुलिस कर्मियों को सेवा मुक्त कर दिया गया था। उनके अनुबंध की अवधि गुरुवार को समाप्त हो गई थी। दुमका पुलिस के द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 27 फरवरी 2017 को फोकस एरिया डेवलपमेंट प्लान में शामिल क्षेत्र में से राज्य के 12 जिलों के लिए अनुबंध पर 2500 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की गई थी। इन सभी सहायक पुलिस कर्मियों को एक -एक साल करके 3 साल का सेवा विस्तार दिया गया था। जो 8 अगस्त 2022 को संपन्न हो गया था। जिसके बाद उन्हें 11 अगस्त से सेवा मुक्त कर दिया गया था।

करीब 4 साल पूर्व हुई थी नियुक्ति

सहायक पुलिस कर्मियों ने बताया तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में 12 नक्सल प्रभावित जिलों के लिए 2500 व्यक्तियों को 3 साल की संविदा पर गृह जिला में सेवा देने के लिए रखा गया था। पिछले साल संविदा अवधि खत्म होने पर नौकरी से निकाले जाने की प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन भी हुआ था। इसके बाद 1 साल के लिए संविदा अवधि बढ़ा दी गई थी। इसी बीच 2022 तक संविदा बढ़ा दी गई। लेकिन अब अनुबंध खत्म कर दिया गया था।

पूर्व में आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मी

आंदोलन की मूड में थे सहायक पुलिस कर्मी

अनुबंध विस्तार नहीं होने से सहायक पुलिस कर्मी आंदोलन का रास्ता अपनाने को तैयार थे। वर्तमान में करीब 500 सहायक पुलिस कर्मियों का अनुबंध समाप्त हो गया था। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य सहायक पुलिस कर्मियों का भी अनुबंध समाप्त होता जा रहा था। इसको लेकर सहायक पुलिसकर्मी खासा नाराज थे। सहायक पुलिस कर्मी का यह भी कहना है यदि सरकार को जरूरत है तो उसे समय रहते इन सारी समस्याओं का निदान क्यों नहीं निकालती? आखिर आंदोलन के रास्ते जाने के बाद ही सरकार की नींद क्यों टूटती है? आने वाले 1 माह के भीतर सहायक पुलिस कर्मियों को लेकर सरकार कुछ ठोस निर्णय ले सकती है।

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