झारखंड में अब मनमानी फीस पर लगेगी लगाम, शुल्क विनियमन विधेयक को राज्यपाल ने दी मंजूरी, जानिये किन-किन पाठ्यक्रमों की फीस…

Jharkhand will now curb arbitrary fees; the Governor has approved the Fee Regulation Bill. Find out which courses have fees...

Jharkhand News : झारखंड में अब मनमानी फीस पर लगाम लग जायेगा। निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की प्रवृत्ति पर अब रोक लगाने वाली बिल को राज्यपाल मंजूरी दे दी है। राज्यपाल ने झारखंड व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी है। गजट नोटिफिकेशन के बाद यह कानून प्रभावी हो जाएगा, जिससे छात्रों और अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी।

 

झारखंड विधानसभा के पूरक मानसून सत्र के तीसरे दिन 25 अगस्त 2025 को ध्वनिमत से पारित झारखंड व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2025 को अब राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। इसके लागू होने के बाद राज्य में संचालित निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों की मनमानी फीस वसूली पर रोक लग जाएगी। यह कदम झारखंड सरकार की शिक्षा सुधार नीति की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

 

विधानसभा में विधेयक पारित करते समय उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया था कि इस कानून का उद्देश्य निजी संस्थानों में पारदर्शिता लाना और विद्यार्थियों के हितों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा था कि अब कोई भी संस्थान अपनी मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेगा।

 

भाजपा विधायक राज सिन्हा ने संशोधन प्रस्ताव पेश करते हुए सुझाव दिया था कि फीस निर्धारण शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले किया जाए, लेकिन सदन ने इसे अस्वीकार कर दिया था। मंत्री सुदिव्य कुमार ने स्पष्ट किया था कि बिल में निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही शुल्क तय होगा और सभी संस्थानों को उसका पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।

कैसे काम करेगी शुल्क विनियमन समिति:

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, शुल्क विनियमन समिति (Fee Regulation Committee) का गठन किया जाएगा।

• समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा पर की जाएगी।

• उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा नामित राज्य के किसी विश्वविद्यालय के कुलपति समिति के उपाध्यक्ष होंगे।

• समिति में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, और विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जुड़े विशेषज्ञ सदस्य भी शामिल रहेंगे।

 

यह समिति राज्य के सभी निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों से आवश्यक दस्तावेज मंगवाकर, उनके खर्च और ढांचे का विश्लेषण करेगी। इसके बाद प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए उचित और पारदर्शी शुल्क संरचना तय करेगी।

 

किन पाठ्यक्रमों की फीस होगी निर्धारित:

यह कानून राज्य के सभी व्यावसायिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों पर लागू होगा, जिनमें शामिल हैं—

• मेडिकल और डेंटल सर्जरी,

• अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी,

• फार्मेसी,

• वास्तुकला,

• होटल प्रबंधन और भोजन प्रौद्योगिकी,

• नर्सिंग विज्ञान,

• व्यवसाय प्रबंधन,

• विधि (Law),

• और कृषि विज्ञान आदि।

अब समिति द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक वसूली करने वाले संस्थानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।झारखंड सरकार ने स्पष्ट किया है कि शुल्क विनियमन कानून का उद्देश्य निजी संस्थानों की गतिविधियों को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि शिक्षा को न्यायसंगत और सुलभ बनाना है।

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