बाबा विश्वनाथ के दर से अखिलेश का सियासी दांव: सॉफ्ट हिंदुत्व से 2027 की तैयारी
Akhilesh's political bet from Baba Vishwanath's temple: Preparation for 2027 with soft Hindutva

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचाते हुए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर कदम बढ़ा चुके हैं। सावन के पहले सोमवार (14 जुलाई) को वह काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे। इसे न सिर्फ धार्मिक आस्था बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव के लिए एक अहम राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे के मुकाबले में अखिलेश अब अपनी मुस्लिम परस्त छवि से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। सपा, जो अब तक अपने M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण के सहारे चलती रही, वह अब व्यापक सामाजिक आधार की तलाश में है। पिछले कुछ वर्षों में अखिलेश ने मुस्लिम मुद्दों पर बयानबाजी से दूरी बनाते हुए सामाजिक न्याय और बहुजन एकता को अपना नया एजेंडा बनाया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक की परंपरा यदुवंशी समुदाय में 1952 से चली आ रही है, जिसकी शुरुआत तेजू सरदार ने की थी। इस बार अखिलेश यादव को जब इस परंपरा का आमंत्रण मिला तो उन्होंने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। उनके साथ 50,000 से अधिक यादव समाज के लोग भी काशी पहुंचेंगे, जिससे एक बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश होगी।
हालांकि यह सॉफ्ट हिंदुत्व दांव अखिलेश के लिए आसान नहीं है। जहां एक ओर वे हिंदू वोट बैंक को साधना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम वोटरों की नाराज़गी का जोखिम भी है। बीजेपी की सियासी पिच पर उतरकर मुकाबला करना चुनौतीपूर्ण रहेगा, लेकिन अखिलेश का इरादा साफ है—2027 में हर हाल में सत्ता में वापसी।