Air India Plane Crash: “काश! अजय मेरी बगल वाली सीट पर होता…” — एकमात्र बचे यात्री विश्वास ने सुनाई हादसे की वो सच्चाई जो रुला देगी
भाई की अर्थी को कंधा देने के बाद बोले विश्वास रमेश: "मैं तो बच गया, लेकिन यह जिंदगी अब अधूरी है…अजय के लिए वो सीट न मिलना उम्रभर सालता रहेगा"

अहमदाबाद: 12 जून 2025 — भारत के इतिहास में दर्ज एक काला दिन। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद क्रैश हो गई। 242 यात्रियों में से केवल एक — विश्वास रमेश कुमार — इस दर्दनाक हादसे से जिंदा बाहर निकल पाए। बाकी सभी, जिनमें उनका छोटा भाई अजय कुमार भी शामिल था, मौत की आगोश में समा गए।
“काश अजय मेरी बगल में होता…”(Air India Plane Crash)
हादसे के छह दिन बाद जब विश्वास अपने छोटे भाई अजय की अर्थी को कंधा देने अपने पैतृक गांव दीव पहुंचे, तब उनके चेहरे पर जिंदा बचने का संतोष नहीं, बल्कि अपने भाई को न बचा पाने का गहरा मलाल था। मीडिया से बात करते हुए उनकी आंखों में नमी थी और आवाज़ में कंपकंपी — “काश! मेरी एक कोशिश कामयाब हो जाती। मैंने चाहा था कि अजय मेरे साथ वाली सीट पर हो। मैं सीट A-11 पर था, लेकिन उसके लिए बगल वाली सीट मिल नहीं सकी। हम एक ही पंक्ति में जरूर थे, लेकिन आठ सीटों का फासला… और वही दूरी अब उम्रभर का अफसोस बन गई।”
क्या हुआ हादसे के वक्त?(Air India Plane Crash)
विश्वास बताते हैं, “टेकऑफ के तुरंत बाद ही लगा कि कुछ गलत हो रहा है। लाइटें झपकने लगीं और विमान ऊपर जाने के बजाय नीचे झुकने लगा। फिर एक जबरदस्त झटका, धमाका और अंधेरा। आंखें बंद हो गईं… जब होश आया तो देखा, मैं अब भी जिंदा हूं। लेकिन चारों तरफ तबाही थी।”
कैसे बची जान?(Air India Plane Crash)
“मैंने सीट बेल्ट खोली, एक दरवाज़ा टूटा हुआ दिखा। एक छोटा-सा छेद मिला। मैंने अपने पूरे ज़ोर से पैर मारा और बाहर निकल आया। मेरे आसपास आग थी, लोग चीख रहे थे, लेकिन मैं बेबस था।”
“भाई को बचाने लौटा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी”(Air India Plane Crash)
“मैं अजय को ढूंढने वापस लौटना चाहता था, लेकिन मेडिकल हॉस्टल की दिशा में आग का गोला बन चुका था। दमकल पहुंच चुकी थी, और मुझे खींचकर बाहर लाया गया।”
अंतिम विदाई और कभी न मिटने वाला अपराध बोध(Air India Plane Crash)
18 जून को विश्वास ने अपने छोटे भाई अजय का अंतिम संस्कार किया। “मैं जिंदा हूं, लेकिन अधूरा। यह जीवन अब उस अपराधबोध के साथ जिया जाएगा कि अजय को मैं नहीं बचा पाया। काश आज मेरी जगह वो जिंदा होता।”
विश्वास और अजय का जीवन(Air India Plane Crash)
दीव के एक मछुआरा परिवार से आने वाले विश्वास और अजय लंदन में गारमेंट्स का बिज़नेस चलाते थे। मौसम के हिसाब से वे भारत और यूके के बीच आते-जाते थे। विश्वास के पास ब्रिटिश नागरिकता भी है।
AI-171: एक राष्ट्रीय शोक(Air India Plane Crash)
12 जून की दोपहर, AI-171 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुआ था, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही पलों बाद वह मेघाणीनगर क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज और हॉस्टल पर गिर गया। 242 में से केवल एक बचा — विश्वास रमेश कुमार।
इस हादसे में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, मेडिकल छात्र आर्यन, मानव, जयप्रकाश सहित कई जाने-पहचाने चेहरे और मासूम छात्र अपनी जान गंवा बैठे। हादसे की जांच जारी है, ब्लैक बॉक्स बरामद हो चुका है, रिपोर्ट का इंतजार है।
विश्वास की कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं, एक भाई के दर्द, प्रेम और पछतावे की दास्तान है। वो एक चेहरा जो आज भी सोचता है — “काश… एक सीट का फासला न होता, तो शायद अजय आज साथ होता।”